Dengue Vaccine: डेंगू की वैक्सीन अगर कामयाब हो जाए तो भारत में हर साल डेंगू बुखार से पीड़ित होने वाले और मौत के शिकार होने वाले लोगों की तादात कम की जा सकती है.
Dengue Vaccine Phase 3 Clinical Trials Started In India: बरसात के मौसम में डेंगू बुखार का प्रकोप हर साल देखने को मिलता है, कई लोग इसकी वजह से अपनी जान गंवा बैठते हैं. हालांकि अब राहत की खबर मिली है. बताया जा रहा है कि डेंगू की वैक्सीन जल्द आ सकती है. तीसरे फेज का पहला क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है. इसकी पहली वैक्सीन पंडित भगवत दयाल शर्मा (Pandit Bhagwat Dayal), पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज रोहतक (PGIMS Rohtak) में एक शख्स को लगाकर टेस्ट किया गया है.
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‘डेंगीऑल’ वैक्सीन का टेस्ट बढ़ाया जाएगा
इसके अलावा ये वैक्सीन टेस्ट 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 जगहों पर किया जाएगा. टेस्ट के लिए 10335 हेल्दी नौजवानों को शामिल किया गया है. आईसीएमआर (ICMR)और पैनेसिया बायोटेक (Panacea Biotec) ने भारत में डेंगू की वैक्सीन (Dengue Vaccine) डेवलप करने के लिए पहली बार थर्ड फेज का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है. सेंट्रल हेल्थ मिनिस्ट्री ने बीते बुधवार को ये जानकारी दी है. पैनेसिया बायोटेक ने भारत के स्वदेशी टेट्रा वैलेंट डेंगू टीके ‘डेंगीऑल’ (DengiAll) को बनाया है.
कैसे काम करेगी वैक्सीन?
पैनेसिया की वैक्सीन सभी चार डेंगू सीरोटाइप के लाइव, कमजोर वर्जन का इस्तेमाल करती है.वायरस के इन कमजोर संस्करणों को अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (National Institute of Allergy and Infectious Diseases) विकसित किया गया था- उन्होंने DENV1, DENV3 और DENV4 स्ट्रेन के जेनेटिक कोड के कुछ हिस्सों को हटा दिया और फिर आनुवंशिक रूप से कमजोर DENV 4 के कुछ हिस्सों का उपयोग करके DENV2 रीढ़ की हड्डी को इंजीनियर किया, जिस पर दूसरों से निपटा गया था. इन्हें वैक्सीन विकसित करने के लिए पैनेसिया बायोटेक द्वारा सेल कल्चर में उगाया गया था.
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डेंगू वैक्सीन की जरूरत क्यों हैं?
डेंगू एक मच्छर से पैदा होने वाला वायरल इंफेक्शन है, जिसका प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, ग्लोबल लेवल पर, डेंगू की घटना 2000 में 5,05,430 मामलों से बढ़कर 2019 में 5.2 मिलियन हो गई है. भारत में, यह बीमारी 2001 में सिर्फ 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 2022 तक सभी राज्यों में फैल गई है, उस साल लद्दाख के आखिरी गढ़ को तोड़ दिया गया था. एक और चुनौती ये है कि 75-80 फीसदी मामलों में लक्षण साफ नहीं होते हैं.