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तूफानी रफ्तार से बढ़ने वाली है बिजली की डिमांड, क्या पावर और सोलर कंपनियों को होगा फायदा?

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अगले 6 महीने में पावर डिमांड में तेज उछाल आने का अनुमान है। सरकार भी डिमांड पूरा करने की तैयारी तेज कर रही है। इसके लिए कोयले से बनने वाली परंपरागत बिजली के साथ सोलर और विंड पावर पर भी जोर दिया जाएगा। इसका फायदा पावर और सोलर सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को मिल सकता है जिसका असर नजर उनके शेयरों पर भी आने की उम्मीद रहेगी।

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बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। देश में बिजली की मांग अगले छह वर्षों में सालाना 15 गीगावाट की दर से बढ़ेगी। यह पिछले एक दशक में 11 गीगावाट प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही थी। यह कहना है अतिरिक्त सचिव विद्युत श्रीकांत नागुलापल्ली का। उन्होंने IEEMA के उद्योग सम्मेलन में कहा कि 2030 तक सौर ऊर्जा घंटों के दौरान लगभग 85 गीगावाट अतिरिक्त मांग और गैर सौर ऊर्जा घंटों के दौरान पीक मांग में 90 गीगावाट से अधिक की वृद्धि होगी।

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नागुलापल्ली ने कहा, “… सीएजीआर इन संख्याओं को सही रूप से बता सकता, लेकिन पावर डिमांड के मामले यह एक बड़ी छलांग है। इस वृद्धि को पूरा करने के लिए हम कोयला क्षमता और सौर, पवन, भंडारण और ट्रांसमिशन क्षमता का पर्याप्त विस्तार कर रहे हैं।” नागुलापल्ली ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत की पीक मांग औसतन 11GW बढ़ी है और अगले 6 वर्षों में औसतन 15 GW प्रति वर्ष बढ़ने का अनुमान है।

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सरकार डिमांड और सप्लाई के बीच संतुलन दूर करने के लिए पावर स्टोरेज पर अधिक जोर देगी। नागुलापल्ली का कहना है कि लगभग 40 GW स्टोरेज के माध्यम से होगी। उन्होंने कहा, “2030 तक हमारा इरादा स्टोरेज कैपेसिटी पर निर्भर रहने काहै। फिर चाहे वह हमारे गैर-सौर घंटे के पीक की आपूर्ति के लिए लंबी स्टोरेज बैटरी हो।” बिजली मंत्रालय ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से 500 GW क्षमता का लक्ष्य रखा है।

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नागुलापल्ली ने कहा, “… हम पहले ही 200 GW (RE क्षमता वृद्धि) को पार कर चुके हैं। अगले 6 वर्षों में अतिरिक्त 300 GW हासिल करना है। इसमें से (300GW) लगभग 225 GW सोलर और विंड से होगा।” क्षमता वृद्धि के बारे में उन्होंने कहा कि इस योजना में राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश आदि के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है, क्योंकि वहां सौर ऊर्जा की बड़ी क्षमता वाली भूमि उपलब्ध है।

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उन्होंने गुजरात और तमिलनाडु तट के पास अपतटीय पवन फार्म स्थापित करने की योजना के बारे में भी बात की और कहा कि देश विशेष रूप से ओडिशा, गुजरात, तमिलनाडु आदि के तटीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन क्षमता जोड़ने के लिए कमर कस रहा है।

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