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उत्तर प्रदेश

Nazul Land Case: पुलिस रिमांड पर अवनीश ने कबूले छह बड़े नाम, सभी को नोटिस जारी; एक हजार करोड़ की नजूल संपत्ति का मामला

कानपुर में अवैध कब्जे के मामले में प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित ने रिमांड में पूछताछ के दौरान छह बड़े नामों का खुलासा किया है। इनमें एक लोकल न्यूज चैनल के मालिक शराब ठेकेदार सरकारी ठेकेदार वकील और एक राजनीतिक दल के पदाधिकारी शामिल हैं। पुलिस इन सभी से पूछताछ करेगी और उनके बयानों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी।

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जागरण संवाददाता, कानपुर। नजूल की जमीन पर कब्जे की कोशिश में जेल भेजे गए प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित ने रिमांड में पूछताछ के दौरान छह बड़े नाम कबूले हैं। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि छह में से पांच को बयानों के लिए बुलाया जाएगा और उनके बयानों के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। वहीं, पीएफ घोटाले में फंसे सुनील शुक्ला उर्फ जीतू शुक्ला की गिरफ्तारी तय बताई जा रही है और पुलिस ने उन्हें जेल भेजे जाने का फैसला ले लिया है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में अवनीश दीक्षित ने जमीन पर कब्जेदारी के प्रयास और आय से अधिक संपत्ति मामले में पांच नाम बताए हैं। इनमें, एक लोकल न्यूज चैनल के मालिक संजीव दीक्षित, संजीव दीक्षित के ही मुख्य सिपहसालारों में शामिल मनोज पांडेय उर्फ बंटी, अधिवक्ता शरद शुक्ला, अधिवक्ता अजय शर्मा, रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पदाधिकारी अमित सिंह उर्फ नीतू के नाम शामिल हैं।

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इनमें से सुनील शुक्ला को पुलिस पीएफ घोटाले से जुड़े मामले में आरोपित बना चुकी है, ऐसे में पकड़े जाने के बाद सुनील का जेल जाना तय है। वहीं, दूसरी ओर पुलिस अन्य पांचों आरोपित को भारतीय साक्ष्य संहिता की धारा 160 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजेगी। इन सभी से मोबाइल से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं हो सकी।

प्रश्नावली तैयार, हर एक से पूछे जाएंगे 170 सवाल

अपर पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था हरीश चंदर ने बताया कि अवनीश से 10 दिनों में विस्तार से पूछताछ की गई। उसने जिन छह बड़े नामों के बारे में जानकारी दी है, उनमें से पांच को नोटिस देकर बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया जाएगा। पुलिस नीतू सिंह और अजय शर्मा को पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है, मगर दोनों नहीं आए। अगर अब यह नहीं आए तो इन्हें आरोपित बना दिया जाएगा। बयान देने के लिए अगर उक्त संदिग्ध आते हैं, तो इनसे पूछताछ को 170 सवालों की प्रश्नावली तैयार कराई गई है। सवाल जवाब के आधार पर ही इन्हें आरोपित बनाया जाएगा या क्लीनचिट दी जाएगी।

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अवनीश की जुबानी संदिग्धों की कहानी

संजीव दीक्षित : एक लोकल न्यूज चैनल के मालिक। एक विद्यालय भी है। प्रापर्टी डीलिंग के धंधे भी हाथ आजमा रहे हैं। शहर में कई बहुमंजिला इमारतें बनवाई हैं। अवनीश ने बताया कि इन्हीं की मदद से पहली बार ई-टीवी में चार हजार रुपये में नौकरी पाई थी। बाद में इनके साथ प्रापर्टी डीलिंग के धंधे में भी हाथ आजमाया। आपसी लेनदेन भी स्वीकार किया है।

मनोज पांडेय उर्फ बंटी: संजीव दीक्षित के ही मुख्य सलाहकारों में शामिल। शहर में शराब के कई ठेके हैं। अवनीश ने बताया है कि अपने नाम और दूसरे के नामों से मनोज ने करीब 80 शराब ठेके लिए हैं। इन शराब ठेकों की समस्याओं को दूर करने का ठेका अवनीश का था। बदले में उसे मोटी रकम मिलती थी।

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सुनील शुक्ला: सरकारी विभागों को संविदा या ठेके पर मानव श्रम उपलब्ध कराने का काम है। केस्को से जुड़े पीएफ घोटाले का मुख्य आरोपित है। नगर निगम के नाला घोटाले में भी इसकी ही कंपनी है। अवनीश ने पहले तो संबंध ही नकारे, मगर जब पुलिस ने दस्तावेज दिखाए तो पहले पारिवारिक रिश्ते कबूले, फिर व्यापारिक रिश्ते मान लिए। फार्च्यूनर दिलाने की बात भी कबूली।

शरद शुक्ला: पेशे से वकील और सरकारी जमीन की खरीदारी में शामिल श्रीआनंदेश्वर एसोसिएट्स में पार्टनर हैं। इनके माध्यम से मुख्य आरोपित हरेंद्र मसीह को पैसे देने का आरोप है। अवनीश ने जमीन मामले में इनकी सहभागिता स्वीकार की है।

अजय शर्मा : पेशे से वकील हैं। जितेश झा व हरेंद्र मसीह के अधिवक्ता हैं और पुराने समय से उनके साथ हैं। श्रीआनंदेश्वर एसोसिएट्स में साइलेंट पार्टनर हैं। उनका ड्राइवर और नौकर फर्म में 11 प्रतिशत का साझीदार है। इनका जूनियर सुधांशु तिवारी भी फर्म में साझीदार है। एक तरह से सबसे बड़े पार्टनर हैं। अवनीश ने जमीन प्रकरण में इसकी भी सहभागिता स्वीकार की है।

नीतू सिंह : अमित सिंह उर्फ नीतू सिंह रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पदाधिकारी हैं। 28 जुलाई को जब जमीन पर कब्जेदारी की कोशिश हो रही थी तो यह भी मौके पर मौजूद थे। अवनीश ने बताया कि जमीन में साझीदार के रूप में यह जुड़े थे, हालांकि फर्म से इनका कोई लेना देना नहीं था।

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यह है मामला

सिविल लाइंस में हडर्ड स्कूल के सामने खाली पड़े एक हजार करोड़ की कीमत के भूखंड पर कब्जेदारी को लेकर 28 जुलाई को हंगामा हुआ था। लेखपाल विपिन कुमार ने अवनीश दीक्षित समेत 13 नामजद और 20 अज्ञात के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। बाद में जमीन पर कब्जेदार रहे सैमुअल गुरुदेव की ओर से भी 12 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया गया था।

पुलिस ने प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित, मनोज यादव उर्फ वसूली बंदर और राहुल वर्मा को गिरफ्तार जेल भेजा था। जबकि फरार 10 अन्य आरोपितों पर इनाम घोषित किया गया है। अवनीश दीक्षित को कोतवाली पुलिस ने 10 दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया था, जिसमें एक दिन पहले ही शुक्रवार को उसे जेल भेज दिया गया।

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