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पाकिस्तान में क्यों मचा कत्लेआम? एक ही दिन में 74 की हत्या, दर्ज है इस दिन का खूनी इतिहास

पाकिस्तान में 24 घंटे के अंदर ही करीब 74 लोगों को बड़ी बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया। दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान में वाहनों से उतारकर आईडी देखने के बाद कम से कम 23 लोगों को गोली मार दी गई। इसकी जिम्मेदारी बलूच उग्रवादी संगठन ने ली है। दरअसल बलूच लंबे समय से पंजाबियों को निशाना बनाते आए हैं। बलूचों का कहना है कि उनके शंसाधनों का दोहन पंजाबी करते हैं। सरकार में भी उनका प्रतिनिधित्व ज्यादा है और बलूच गरीबी में जीने को मजबूर हैं।

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24 घंटे में 74 की हत्या

बलूचिस्तान इलाके में एक ही दिन में 74 लोगों को मार दिया गया। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि वे पूरे प्रांत के हाइवे पर अपना नियंत्रण चाहते हैं। मुसाखेल जिले के राराशामइलाके में सोमवार को उग्रवादियों ने करीब 23 लोगों को बसों से उतारा और फिर उन्हें गोली मार दी। उग्रवादियों ने कम से कम 10 वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।

इसके अलावा क्वेटा से लगभग 140 किलोमीटर दूर कलात में भी हथियारबंद उग्रवादियों ने कम से कम 10 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। बोलान जिले में रात में 6 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया, इनमें से चार पंजाब के रहने वाले थे। वहीं पाकिस्तानी सेना का कहना है कि 14 अन्य लोगों की भी अलग-अलग इलाकों में हत्या की गई है, जिनमें पांच सुरक्षाबल शामिल हैं। वहीं सुरक्षाबलों ने कई जगहों पर जवाबी कार्रवाई भी की जिसमें कम से कम 21 आतंकी मारे गए।

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बता दें कि बलूचिस्तान में इस साल और भी कई ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बीते साल मई में सुरक्षाबलों पर बड़ा हमला किया गया था। जानकारों का कहना है कि बलूच लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि बाहरियों के लिए यह क्षेत्र सुरक्षित नहीं हैं इसलिए वे यहां आने की हिम्मत ना करें। बलूच कई बार चीनी नागरिकों को भी निशाना बना चूके हैं। वहीं वे बलूचिस्तान में काम करने आने वाले पंजाबियों की अकसर हत्या कर देते हैं। वे चाहते हैं कि पंजाब और अन्य प्रांतों से आने वाले लोग डर जाएं और आना बंद कर दें। उनका मानना है कि ये लोग उनके संशाधनों का दोहन करते हैं।

एक ही दिन में क्यों हुए इतने हमले

एक ही दिन में बलूच उग्रवादियों ने कई जगह कत्लेआम मचा दिया। दरअसल नवाब अकबर बुगती की 18वीं बरसी के मौके पर ये हमले किए गए हैं। बुगती बलूचिस्तान के पूर्व राज्यपाल और मुख्यमंत्री थे। 2005 में वह अलगाववादी आंदोलन में शामिल हो गए थे और 2006 में एक सैन्य अभियान में उनकी हत्या कर दी गई। तब से हर साल ही उनकी बरसी पर हमले होते हैं। बलूच उग्रवादी पाकिस्तान की सरकार को सीधी चुनौती देते हैं।

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बता दें कि पाकिस्तान में बलूचिस्तान सबसे बड़ा प्रांत है और यहां करीब 1.5 करोड़ लोग रहते हैं। यह प्रांत प्राकृतिक शंसाधनों के मामले में काफी रिच है। यहां तेल, कोयला, सोना, कॉपर और गैस के सोर्स हैं। बलूचिस्तान के संशाधनों के दम पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चलती है। इसी प्रांत में पाकिस्तान के बेहद अहम ग्वादर पोर्ट भी है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए यह बेहद अहम है। हालांकि बलूचों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार इस प्रांत के लोगों के हित में काम नहीं करती है और केवल संशाधनों का दोहन करती है।

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अफगान तालिबान की वापसी के बाद से पाकिस्तान म के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। केवल 2023 में ही 650 हमले हुए थे। कोयला या अन्य खनिजों को ले जाने के दौरान अकसर बलूच उग्रवादी ट्रकों को रोककर लूट लेते हैं। इसे पाकिस्तानी सरकार की विफलता कहा जा सकता है. बलूचिस्तान में विकास की कमी की वजह से यहां उग्रवाद चरम पर है।

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