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उत्तराखंड

Haldwani: बनभूलपुरा हिंसा के 50 आरोपितों की हाई कोर्ट से जमानत मंजूर, आठ फरवरी को हुई थी हिंसा व आगजनी

Banbhoolpura Violence हाई कोर्ट ने आरोपित छह महिलाओं समेत 50 लोगों की जमानत मंजूर कर ली है। हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हिंसा आगजनी मामले में आरोपित बनभूलपुरा निवासी गुलजार सहित 50 अन्य ने जमानत प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि पुलिस की ओर से उनके विरुद्ध 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। विगत आठ फरवरी को यह घटना घटी थी।

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जागरण संवाददाता, नैनीताल। Banbhoolpura Violence: हाई कोर्ट ने आठ फरवरी को बनभूलपुरा के मलिक का बगीचा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में हिंसा व आगजनी करने की आरोपित छह महिलाओं समेत 50 लोगों की जमानत मंजूर कर ली है।

बुधवार को खंडपीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को निरस्त भी कर दिया, जिसमें पुलिस की ओर से 90 दिन बीत जाने के बाद भी आरोपपत्र पेश नहीं किया और निचली कोर्ट की ओर से आरोप पत्र पेश करने के लिए और समय दे दिया गया।

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विशेष अपीलों पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था

वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने 24 अगस्त को निचली कोर्ट की ओर से रिमांड बढ़ाने व जमानत खारिज करने की विशेष अपीलों पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था।

हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हिंसा, आगजनी मामले में आरोपित बनभूलपुरा निवासी गुलजार सहित 50 अन्य ने जमानत प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि पुलिस की ओर से उनके विरुद्ध 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। न ही रिमांड बढ़ाने के लिए कोई स्पष्ट कारण बताया। इसके बाद भी निचली कोर्ट ने उनकी रिमांड बढ़ाते हुए जमानत प्रार्थना पत्रों को खारिज कर दिया।

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मामले में सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस के पास पर्याप्त आधार और कारण हैं। निचली अदालत के पास रिमांड बढ़ाने का अधिकार है। नियमानुसार ही आरोपितों की रिमांड बढ़ाई गयी है।

जबकि आरोपितों की ओर से कहा गया कि जो रिमांड का जो समय बढ़ाया गया है, वह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। पुलिस बिना कारण किसी को जेल में बंद नही रख सकती, भले ही आरोप कितने गंभीर हों। अभी तक आरोपपत्र पेश नही हुए हैं, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाय। जमानत उनका अधिकार है।

इन धाराओं में दर्ज हुआ था मुकदमा

बनभूलपुरा में अवैध मदरसे और नमाज स्थल तोड़ने को लेकर आठ फरवरी को बवाल हो गया था। उपद्रवियों ने पुलिस, प्रशासन व नगर निगम की टीम पर पथराव कर दिया और थाने को भी आग के हवाले कर दिया था। प्रकरण में पांच लोगों की मौत हो गई थी।

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इस मामले में आरोपितों के विरुद्ध पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 120 बी, 307, 332, 353, 427, 435, उत्तराखंड प्रिवेंशन आफ डैमेज पब्लिक प्रापर्टी, आर्म्स एक्ट आदि के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।

आरोपितों में गुलजार के अलावा फुरकीन, मोहम्मद वसीम, शहराज हुसैन, सरीम मिकरानी, मो. फैजान, नबी हसन, जीशान, मो. फिरोज, मो. उजैर, हाजरा बेगम, शहनाज, सोनी, शमशीर, अजीम, शाहबुद्दीन, मो. आसिफ, आदिल खान, हुकुम रजा, शाहिल अंसारी, अरबाज, अहमद हसन, माजिद, जीशान, मुजम्मिल, रईस अहमद, गुलजार, मो. शाद, मो. फरीद, जावेद, शरीफ व मो. ईश्तकार आदि शामिल थे।

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