Rahul Gandhi Bharat Dojo Yatra: राहुल गांधी जल्द ही भारत डोजो यात्रा निकालने जा रहे हैं. ‘डोजो’ आमतौर पर मार्शल आर्ट के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर या स्कूल को कहा जाता है. इसकी बेहद खास दो विधाओं जिउ-जित्सु और ऐकिडो (JIU-JUTSU, Aikido) की खासियत के बारे में जानकर आप भी उसे सीखने का मन बना सकते हैं.
Bharat DOJO Yatra Rahul Gandhi: साल 2024 के लोकसभा चुनावों में अपना सियासी चमत्कार दिखाकर कांग्रेस का कद दोगुना कर चुके राहुल गांधी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024) और जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir Elections 2024) में बीजेपी (BJP) को पटखने के लिए एकदम सॉलिड और नया दांव चल दिया है. ‘भारत जोड़ो यात्रा’ निकाल चुके राहुल गांधी ने हरियाणा की चौधर में ‘धोबी पछाड़’ जैसे पुराने दांव आजमाने के बजाय नया प्रयोग किया है. पॉलिटिकल ‘कोडिंग’ की भाषा में कहें तो राहुल गांधी ने ‘जापानी’ पैंतरा अपनाया है. 4 जून को मुहब्बत की दुकान की अच्छी बोहनी होने के बाद युवाओं को कांग्रेस से जोड़ने के लिए उन्होंने जिन विधाओं की बात की है, वो सदियों पुरानी हैं. आज भी प्रासंगिक हैं और उसमें गहरे संकेत छिपे हैं.
रणनीति बन चुकी है, अब तो बिगुल बजने का इंतजार है. कांग्रेस नेता और समर्थक इससे इतना उत्साहित हैं कि राहुल गांधी के इस नए जापानी फार्मूले को उनका अगला मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं. इसी सिलसिले में उन्होंने जापानी सियासी मार्शल आर्ट से संबंधी वीडियो जारी करते हुए जल्द ही ‘भारत डोजो यात्रा’ शुरू करने का ऐलान किया है.
ये भी पढ़ें– Weather Today: गुजरात को आज राहत, दिल्ली-NCR में होगी बारिश, ओडिशा-कर्नाटक में IMD का रेड अलर्ट
क्या है डोजो, राहुल गांधी का जापानी फार्मूला?
‘डोजो’ आमतौर पर मार्शल आर्ट के लिए एक प्रशिक्षण कक्ष या स्कूल को कहा जाता है. लीडर ऑफ अपोजिशन राहुल गांधी ने अपने यूट्यूब चैनल पर जो वीडियो साझा किया, वह इस साल की शुरुआत में निकाली गई ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के समय का है. उसमें वो बच्चों को मार्शल आर्ट की बारीकियां समझा रहे हैं. उन्होंने अपनी पोस्ट के कैप्शन में लिखा- ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान, जब हमने हजारों किलोमीटर का सफर किया तो हर शाम जिउ-जित्सु (JIU-JUTSU) की प्रेक्टिस को अपने डेली रुटीन का हिस्सा बनाया. ये आर्ट जो फिट रहने के एक सरल तरीके के रूप में शुरू हुई थी आज एक कम्युनिटी एक्टिविटी बन चुकी है.’
जिस तरह से मोदी यूथ से कनेक्ट करते हैं. उसी अंदाज में अपनी बात आगे बढ़ाते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘इस जापानी प्रेक्टिस को लेकर हमारा मकसद युवाओं को योग-ध्यान के अलावा जिउ-जित्सु, ऐकिडो (Aikido) और अहिंसक संघर्ष की तकनीकों के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण ‘जेंटल आर्ट’ की सुंदरता से परिचित कराना था. मैं नेशनल स्पोर्ट्स डे के मौके पर अपना अनुभव साझा करना चाहता हूं, उम्मीद है कि उनमें से कुछ लोग इस बेहद शानदार मार्शल आर्ट के ‘सौम्य रूप’ का अभ्यास करने के लिए प्रेरित होंगे.’
ये भी पढ़ें– दिल्ली के 85 हजार ऑटो चालकों को केजरीवाल सरकार की बड़ी राहत! मुफ्त में बनेगा अब गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट
‘भारत डोजो यात्रा जल्द ही आ रही है.’
राहुल गांधी ने कहा, ‘बहुत जल्द मेरी भारत जोदो यात्रा शुरू हो रही है. मैंने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरुआत 14 जनवरी को मणिपुर से की थी जिसका दो महीने के बाद मुंबई में समापन हुआ था. हालांकि इससे पहले की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में उन्होंने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक की पदयात्रा की थी.
क्या होता है जिउ जित्सू और एकिडो?
जिजुत्सु कहें या जुजुत्सु, ये मार्शल आर्ट फैमिली का एक हिस्सा है. ये एक जापानी डिफेंस कला (martial art) आर्ट है. इस कला में पारंगत शख्स तलवार और ढ़ाल लिए दुश्मन को बिना किसी हथियार के पटखनी दे देता है. इसका हिंदी अनुवाद ‘सौम्य कला’ है. जुजुत्सु का एक अर्थ नरम यानी कोमल भी होता है. वहीं इत्सु का मतलब ‘तकनीक’ होता है.
JIU-JUTSU की उत्पत्ति संभवतः 16वीं सदी के अंत में जापान में हुई थी. जापान में 12वीं से 19वीं शताब्दी के बीच सामु योद्धाओं का वर्चस्व था. जिलके पास राजनीतिक शक्तियां थी. समुराई योद्धाओं ने युद्ध के दौरान निहत्थे होने पर एक साथ कई दुश्मनों से लड़ने के लिए नए-नए तरीकों यानी तकनीकों का अविष्कार किया था. आगे 20वीं सदी में इसमें कुछ चीजों को जोड़ा गया. इस युद्ध कला में दुश्मन की एनर्जी को जल्द से जल्द खत्म करने पर फोकस किया जाता है.
ये भी पढ़ें– वंदे भारत स्लीपर का खत्म हो गया इंतजार! भाजपा सांसद ने बताया इस दिन से ट्रेन पटरियों पर दौड़ने को है तैयार
ऐकिडो
ऐकिडो, जुजुत्सु की ही एक शाखा है, जिसे 20वीं सदी की शुरुआत में मार्शल आर्टिस्ट मोरीहेई उएशिबा ने विकसित किया. ऐकिडो का शाब्दिक अर्थ है – ‘ऊर्जा में सामंजस्य स्थापित करने का तरीका’. इसे एनर्जी बैलेसिंग से जोड़ा जाता है. एकिडो की रेमिडी में जानलेवा और घातक अटैक नहीं किया जाता. इसका लक्ष्य प्रतिद्वंद्वी को चोट न पहुंचाते हुए स्वयं का बचाव करना होता है. इस तरह प्रतिद्वंद्वी की ताकत खत्म करके मुकाबला समाप्त करने पर जोर दिया जाता है.
उएशिबा की सीख के मुताबिक, ऐकिडो में महारथ रखने वाले शख्स का प्राथमिक लक्ष्य खुद पर काबू पाना होता है, ना कि हिंसा या आक्रामक होकर दूसरों को मारना. यही वजह है कि ऐकिडो के कंपटीशन का भौंड़ा प्रदर्शन नहीं होता. विदेशों में कुशल डॉक्टर इस प्रेक्टिस को आज भी फॉलो करते हैं. वो अपने मानसिक विकास और फिजिकल फिटनेस के लिए इसकी प्रेक्टिस करते हैं.
अब मार्शल आर्ट के इन स्वरूपों को जानने के बाद ये कहा जा सकता है कि राहुल गांधी अपनी मोहब्बत की दुकान चलाने के लिए जिस जापानी फार्मूले का सहारा लेते हैं, उसमें हिंसा की कोई जगह नहीं होती है. बल्कि अगर दूसरा कोई हिंसक हो रहा हो तो उसकी एनर्जी खत्म करके उसे भी हिंसा फैलाने से रोका जाता है.