हरियाणा की राजनीति में महिला नेताओं का हमेशा ही अहम रोल रहा है। हरियाणा ने अब तक चंद्रावती कुमारी शैलजा किरण चौधरी सावित्री जिंदल गीता भुक्कल नैना चौटाला रेणुका बिश्नोई जैसी दिग्गज महिला नेता दी हैं। हरियाणा गठन के बाद अगर 58 साल का इतिहास देखा जाए तो 575 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ने की तरफ हाथ बढ़ाया। आइए फिर पेश है हरियाणा की राजनीति में महिलाओं का इतिहास।
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शिव कुमार, भिवानी। पुरुष प्रधान प्रदेश कहे जाने वाले हरियाणा की राजनीति में महिलाओं का हमेशा अहम रोल रहा है। हरियाणा के गठन के बाद से जब 1967 में प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो आठ महिला राजनीति के रण में उतरीं और जनता ने चार को जीत का सेहरा बांधा। यहां से शुरू हुआ महिलाओं का राजनीतिक सफर लगातार बढ़ता गया।
हरियाणा के गठन के बाद के 58 साल के इतिहास को देखें तो अब तक हुए 13 चुनावों में 575 महिलाओं ने विधानसभा का दरवाजा खटखटाया। इनमें 87 महिला नेताओं को जनता ने विधानसभा भेजा। जहां उन्होंने अपने क्षेत्र की आवाज को बुलंद किया। हरियाणा के विधानसभा चुनाव के इतिहास में शुरूआत से ही महिलाओं की अहम भागिदारी रही है।
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1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में ही आठ महिलाओं ने किस्मत आजमाई और चार ने जीत हासिल की। यहां से शुरू हुआ महिलाओं का राजनीतिक सफर लगातार बढ़ता गया और 2014 के चुनाव में तो सबसे अधिक 13 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची। 2005 में 11 महिलाएं जीती तो 2009 में नौ और 2019 में भी नौ महिला प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की।
इनकी बदौलत ही आज महिलाएं राजनीति में भी आगे आ रही है। 24 साल में बदली सूरत, तीन से पांच गुणा बढ़ी महिला उम्मीदवारों की संख्या हरियाणा हमेशा ही पुरुष प्रधान प्रदेश रहा है और यहां पुराने समय में महिलाएं घर के काम-काज तक ही सीमित रहती थी। मगर पिछले 24 सालों में बड़ा बदलाव आया है।
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या यूं कहे कि महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता आई है। पिछले पांच विधानसभा चुनावों की बात करें तो 402 महिलाओं ने विधानसभा चुनाव लड़ा। जिनमें से 46 ने जीत दर्ज करते हुए क्षेत्र की आवाज को विधानसभा में उठाया।
इन महिला नेत्रियों ने बनाई राजनीति में विशेष पहचान
चंद्रावती
चंद्रावती हरियाणा विधानसभा की पहली महिला सदस्य थीं और हरियाणा से पहली महिला संसद सदस्य भी थीं। वे 1990 में उपराज्यपाल रहीं। 1964 और 1972 में हरियाणा मंत्री रही। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1954 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र से लड़ा और जीत हासिल की।
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वह पेप्सू सरकार में संसदीय सचिव थीं। उन्होंने 13 चुनाव लड़े जिनमें दो लोकसभा और 11 विधानसभा चुनाव लडे़। इनमें सात चुनाव जीते।
किरण चौधरी
पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल की पुत्रवधु एवं पूर्व कृषि मंत्री चौ. सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी एक उप चुनाव समेत चार बार तोशाम से जीतकर विधानसभा पहुंच चुकी है और मंत्री भी रही है। अब वे राज्यसभा सांसद है।
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अपने पति चौ. सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद वर्ष 2005 में हरियाणा की राजनीति में कदम रखने वाली किरण चौधरी ने 2005 का उप चुनाव जीता। इसके बाद 2009, 2013 और 2019 का चुनाव जीती। वे हरियाणा में अब तक कोई चुनाव हारी नहीं है।
गीता भुक्कल
गीता भुक्कल 2005 में पहली बार कलायत विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनी। उस समय 37 वर्षों में पहली बार कांग्रेस यह सीट जीती। 2009 में नए परिसिमन के बाद झज्जर विधानसभा क्षेत्र में आई और यहां 2009, 2014, 2019 के चुनाव जीतकर झज्जर में जीत की हैट्रिक लगाने वाली पहली विधायक बनी। वह मंत्री भी रही। लगातार चार जीत उनके नाम है।
रेणुका बिश्नोई
पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजन लाल परिवार से पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी जसमा देवी 1987 में आदमपुर से विधायक रही तो उनकी पुत्रवधु वरिष्ठ भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई 2011 में आदमपुर उप चुनाव और 2014 में हांसी से विधायक बनीं।
नैना चौटाला
पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल परिवार से पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की पुत्रवधु और जजपा सुप्रीमो डा. अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना चौटाला का भी राजनीति में अपना ही स्थान है। 2014 में वे डबवाली विधानसभा से चुनाव लड़ी और जीती। 2019 में बाढड़ा से जीत दर्ज की।