कोलकाता में कर्ज से दबी महिला की किडनी बेचने की प्लानिंग चल रही थी लेकिन बिहार पुलिस ने ऐसा होना से रोक लिया। महिला को किडनी देने के नाम पर 50 हजार रुपये भी मिल चुके थे। शातिर एक काम के लिए महिला को थाने लेकर पहुंचा था। यहां उसकी जालसाजी पकड़ी गई। फिर पुलिस ने आगे की कार्रवाई करते हुए आरोपी को जेल भेज दिया।
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जागरण संवाददाता, पटना। कोलकाता में महिला की किडनी निकालने की तैयारी हो चुकी थी। कर्ज के बोझ तले दबी महिला को 50 हजार रुपये भी मिल चुके थे, लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए महिला को रामकृष्ण नगर थाने लेकर पहुंचे शातिर की जालसाजी पकड़ी गई और पुलिस ने उस पर मानव अंग तस्करी का केस कर जेल भेज दिया।
थानेदार एके सिंह ने बताया कि जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में बबलू, मिथिलेश और दीपक को आरोपित बनाया गया है। उनकी तलाश की जा रही है। पुलिस को आशंका है कि यह मानव अंग तस्करों का गिरोह है, जो लोगों की विवशता का बेजा लाभ उठाता है।
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दरअसल, नालंदा जिले के हरनौत के रहने वाले एक दंपती ने काफी कर्ज ले रखा था। इस कारण गांव में उनका रहना मुश्किल हो गया था। दंपती को पांच बेटियां हैं। पति-पत्नी पांचों बेटियों के साथ पटना में रामकृष्ण नगर थाना क्षेत्र के जगनपुरा मोहल्ले में रहने लगे।
महिला घर का चौका-बर्तन करने के साथ मछली बेचने लगी, जबकि उसका पति मजदूरी करने लगा। इस बीच उनकी पहचान बबलू से हुई। बबलू ने कर्ज से छुटकारा दिलाने के लिए चार लाख रुपये में किडनी बेचने के लिए महिला को राजी किया। महिला को जितेंद्र से मिलवाया गया, जिसने उसे पत्नी के रूप में दस्तावेज तैयार करवाए।
महिला से कही गई ये बात
उससे कहा गया कि मिथिलेश को किडनी देनी है। जहां भी उससे पूछा जाए, वह मिथिलेश को भाई बताएगी। जितेंद्र और उक्त महिला का पति-पत्नी के तौर पर आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज तैयार किए गए। चिकित्सकीय जांच के लिए महिला को कई बार कोलकाता के अस्पताल भी जाना पड़ा।
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उस अस्पताल ने पटना जिला प्रशासन को महिला का आधार कार्ड एवं आवासीय प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए भेजा। इस कारण जितेंद्र और महिला को अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के लिए रामकृष्ण नगर थाना जाना पड़ा।
वहां जब पुलिसकर्मियों ने दोनों से सवाल पूछे तो वे उलझ गए और महिला ने सच्चाई बयां कर दी, जिसके बाद जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया।