All for Joomla All for Webmasters
जरूरी खबर

किन मामलों में पड़ती है Succession Certificate की जरूरत और ये कैसे बनता है?

Succession Certificate

कई बार लोग तमाम जगहों पर तमाम स्‍कीम्‍स वगैरह नॉमिनी का नाम ऐड नहीं करते. ऐसे में जब उस व्‍यक्ति की मौत होती है तो उसके पैसों को पाने का अधिकार उत्‍तराधिकारी को होता है. ऐसे में खुद को उत्‍तराधिकारी साबित करने के लिए व्‍यक्ति को Succession Certificate की जरूरत होती है.

Train Cancelled: 28 सितंबर तक के लिए कई ट्रेनों को किया गया कैंसिल, सफर पर जा रहे हैं तो देख लें पूरी लिस्ट

कई बार लोग तमाम जगहों पर तमाम स्‍कीम्‍स वगैरह नॉमिनी का नाम ऐड नहीं करते. ऐसे में जब उस व्‍यक्ति की मौत होती है तो उसके पैसों को पाने का अधिकार उत्‍तराधिकारी को होता है. लेकिन क्‍लेम करने वाला व्‍यक्ति वास्‍तव में उत्‍तराधिकारी है या नहीं, ये कैसे पता चलेगा? इसके लिए उत्‍तराधिकारी को उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate) बनवाने की जरूरत होती है, जिसके लिए उसे एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है. आइए आपको बताते हैं कि किन मामलों में उत्‍तराधिकारी प्रमाणपत्र की जरूरत होती है और ये बनता कैसे है?

कहां पड़ती है Succession Certificate की जरूरत

  • अगर मृतक के पास वसीयत नहीं थी, तो उत्तराधिकार प्रमाणपत्र से पता चलता है कि कौन उसके कानूनी उत्तराधिकारी हैं.  
  • मृतक के ऋण और बकाया का दावा करने के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. 
  • बीमा निपटान, बैंक खाता बंद करने, निवेश, कानूनी उत्तराधिकारी स्थानांतरण, गृह कर भुगतान जैसे मामलों में उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. 
  • पेंशन, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी या मृतक व्यक्ति को मिलने वाले किसी अन्य लाभ का दावा करने के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. 
  • अचल संपत्ति हस्तांतरण या म्यूटेशन जैसे संपत्ति से जुड़े मामलों में उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. 
  • मृतक राज्य या केंद्र सरकार के कर्मचारी का बकाया वेतन पाने के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. 
  • अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर रोजगार पाने के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र की जरूरत होती है.

ये भी पढ़ें : माता वैष्णो देवी के भक्तों के लिए खुशखबरी! प्रयागराज से कटरा के लिए मिलेगी सीधी ट्रेन, यहां देख लीजिए शेड्यूल

कैसे बनता है उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र

जिस जगह पर भी मृतक की प्रॉपर्टी है, उस जगह के सिविल कोर्ट में उत्‍तराधिकारी को एक आवेदन निर्धारित फॉर्मेट में दिया जाता है. आवेदन में उन सभी संपत्तियों का जिक्र किया जाता है जिनके लिए उत्‍तराधिकारी अपना अधिकार जताना चाहता है. इसके अलावा मृत व्यक्ति की मृत्यु की तारीख, समय और जगह आदि के साथ मृत्‍यु प्रमाण पत्र भी लगाना होता है. 

आवेदन जमा होने के बाद कोर्ट की ओर से अखबार में इसका विज्ञापन दिया जाता है. इसके अलावा सभी पक्षों को इसकी कॉपी भेजकर आपत्तियां मंगवाई जाती हैं. अगर किसी को आपत्ति है तो नोटिस जारी होने के 45 दिनों के अंदर वो अपनी आपत्ति को दर्ज करवा सकता है. आपत्ति दर्ज करने के लिए दस्तावेजों के साथ सबूत पेश करने पड़ते हैं.

ये भी पढ़ें : बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा मामले में अमित शाह से आज मिलेगा VHP प्रतिनिधिमंडल, गृहमंत्री आवास पर मुलाकात

यदि इस बीच कोई आपत्ति नहीं की जाती है तो नोटिस जारी होने के 45 दिन बीत जाने के बाद कोर्ट उत्‍तराधिकार प्रमाण पत्र को जारी कर देता है. लेकिन अगर आपत्ति करके याचिका को किसी ने चुनौती दे दी, तो इस सक्सेशन सर्टिफिकेट जारी होने में देरी भी हो सकती है.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top