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Karwa Chauth 2024: 19 या 20 अक्टूबर, कब किया जाएगा करवा चौथ का व्रत? यहां जानें सही डेट

हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत महत्वपूर्ण व्रत-त्योहारों में से एक है। यह एक कठिन व्रत माना जाता है क्योंकि इसे निर्जला रखने का विधान है। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत (Karwa Chauth 2024 Date Time) को करने से पति-पत्नी के संबंध में मजबूती आती है।

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  1. कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर किया जाता है करवा चौथ का व्रत।
  2. पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं महिलाएं।
  3. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है व्रत का पारण।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ (Karwa Chauth 2024 Date) का व्रत किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल करवा चौथ का व्रत कब किया जाएगा।

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करवा चौथ पूजा मुहूर्त (Karwa Chauth Shubh Muhurat)

कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 19 अक्टूबर, 2024 को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 20 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में करवा चौथ का व्रत रविवार, 19 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाले हैं –

करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 05 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक

करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शाम 07 बजकर 22 मिनट पर

करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – शाम 07 बजकर 22 मिनट पर

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करवाचौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

करवा चौथ व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद नए वस्त्र धारण कर और ईश्वर का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर करवा का चित्र बनाएं। अब शाम की पूजा के दौरान फलक वाले स्थान पर चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की तस्वीर स्थापित करें।

अब पूजा की थाली में दीप, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और मिठाई आदि शामिल करें। साथ ही करवे में जल भरकर रख लें। पूजा के दौरान मां पार्वती को 16 शृंगार सामग्री अर्पित करें और विधि-विधान से शिव-शक्ति की पूजा-अर्चना करें। पूजा के अंत में करवा चौथ की कथा सुनें। रात में चांद निकलने के बाद छलनी से चंद्रमा के दर्शन कर चंद्रदेव की पूजा करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पानी पीकर अपने व्रत का पारण करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है

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