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Advance Tax: एडवांस टैक्स की आखिरी तारीख आज, नहीं भरा तो…

अगर आप ड्यू डेट तक एडवांस टैक्स (Advance Tax) का पेमेंट करने से चूक जाते हैं तो आपको इस गलत सोच की वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए सेकेंड इंस्टॉलमेंट की लास्ट डेट 15 सितंबर है.

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एडवांस टैक्सपेयर्स के दायरे में कौन?

कोई भी व्यक्ति (चाहे सैलरी पर काम करने वाला) जिसकी एस्टीमेटेड टैक्स लाएब्लिटी एक फाइनेंशियल ईयर में 10,000 रुपए से ज्यादा है, वो एडवांस टैक्सपेयर के दायरे में आता है [सोर्स पर टैक्स कटौती और कलेकटेड (टीडीएस और टीसीएस) पर कंसीडर करने के बाद], उसे इनकम टैक्स (IT) अधिनियम, 1961 की धारा 208 के मुताबिक उस साल एडवांस टैक्स चुकाना होगा.

यह उन वरिष्ठ नागरिकों पर लागू नहीं है, जिनकी बिजसने या प्रोफेशन से किसी भी तरह की इनकम नहीं होती है.

आसान शब्दों में कहें तो यह वह टैक्स है जो आपको फाइनेंशियल ईयर खत्म होने के पहले उसी साल हुई इनकम पर चुकाना पड़ता है. IT नियमों के मुताबिक, आपको चार किश्तों में पेमेंट करना होता है. 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च. इससे आपको फाइनेंशियल ईयर के आखिर में एक बार में पेमेंट नहीं करना होता है.

सैलरी पाने वाले लोगों के मामले में, उनके एम्प्लॉयर महीने के आखिर में उनकी सैलरी जमा करने से पहले टैक्स काट लेते हैं.

हालांकि, एम्प्लॉयर इनकम के दूसरे सोर्सेस जैसे डिपॉजिटेड अमाउंट से मिला इंटरेस्ट, शेयरों और म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री पर मिले कैपिटल प्रॉफिट सहित अन्य को ध्यान में नहीं रखते हैं. जब आप अपनी एडवांस टैक्स लाएब्लिटी का एस्टीमेट बनाते हैं, तो आपको इन इनकम को भी ध्यान में रखना चाहिए.

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चार किश्तों में एडवांस टैक्स चुकाएं

एस्टीमेटेड एडवांस टैक्स लाएब्लिटी का 15% आपको 15 जून को चुकाना होता है. 15 सितंबर तक आपको टोटल पेमेंट अमाउंट का 45%, 15 दिसंबर तक 75% और 15 मार्च तक 100% चुकाना होता है. हालांकि, अगर आप सेल्फ-एम्प्लॉयड बिजनेसमैन या प्रोफेशनल्स हैं, जिन्होंने एस्टिमेटेड टैक्सेशन स्कीम का ऑप्शन चुना है, तो नियम थोड़े अलग हो जाते हैं. भले ही उन्हें भी एडवांस टैक्स का पेमेंट करना पड़ता है, लेकिन उन्हें फाइनेंशियल ईयर के आखिरी क्वार्टर में यानी 15 मार्च तक एक बार में पेमेंट करने का भी ऑप्शन मिलता है. यह छूट इसलिए दी गई है क्योंकि छोटे बिजनेसेस को फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत में अपना एडवांस टैक्स लाएब्लिटीज का एस्टिमेट लगाना मुश्किल हो सकता है.

एडवांस टैक्स का पेमेंट कैसे करें?

अपना आउटस्टेंडिंग पेमेंट करने के लिए, आपको www.incometax.gov.in पर लॉग इन करना होगा. अगर आपने पहले से ऐसा नहीं किया है, तो आपको पहले अपने पैन नंबर का इस्तेमाल करके खुद को रजिस्टर्ड करना होगा. इसके बाद, वेबसाइट के बाईं ओर ‘क्विक लिंक्स’ मेनू के अंदर ‘ई-पे टैक्स’ पर क्लिक करें. अपने पैन नंबर का वैरिफिकेशन करने के इंस्ट्रक्शंस को फॉलो करें, ओटीपी दर्ज करें और सही एसेस्मेंट ईयर (2025-26 – जब आप फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए एडवांस टैक्स का पेमेंट कर रहे हों) और ‘पेमेंट के टाइप्स’ के रूप में ‘एडवांस टैक्स (100)’ का ऑप्शन सिलेक्ट करके आगे बढ़ जाएं. ‘जारी रखें’ पर क्लिक करें, डिटेल्स भरें और प्रोसेस को पूरा करने के लिए पेमेंट करें.

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एडवांस टैक्स न चुकाने पर क्या होगा?

एडवांस टैक्स का पेमेंट करना ऑप्शनल नहीं है. अगर आप नियमों का पालन करने में फेल हो जाते हैं, तो आपको जुर्माना भरना पड़ेगा. आपको लास्ट डेट तक एडवांस टैक्स का पेमेंट न करने/जरूरत से कम पेमेंट करने के अमाउंट पर हर महीने 1% के रेट से सिंपल इंटरेस्ट देना होगा, जब तक कि अमाउंट का पेमेंट नहीं किया जाता है.

कम अमाउंट जमा करने पर पैनल इंटरेस्ट दो सूरत में लागू होता है. अगर टोटल एडवांस टैक्स का पेमेंट 15 जून तक 12% हो या 15 सिंतबर तक 36% से कम हो. इसी तरह, अगर आपने जो एडवांस टैक्स चुकाया है वह बचे हुए अमाउंट से 15 दिसंबर तक 75% और 15 मार्च तक 100% से कम है, तो जुर्माना लागू होगा.

एक महीने का इंटरेस्ट

अगर आप 15 मार्च की लास्ट डेट तक पेमेंट नहीं कर पाते हैं, तो भी आप 31 मार्च तक एडवांस टैक्स का पेमेंट कर सकते हैं, लेकिन आयकर अधिनियम की धारा 234सी के मुताबिक एक महीने का इंटरेस्ट लागू होगा.

हालांकि, अगर आप इस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए 31 जुलाई (पिछले फाइनेंशियल ईयर के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख) तक इंतजार करते हैं, तो IT विभाग इसे एडवांस टैक्स पेमेंट में चूक के रूप में मानेगा. ऐसे मामलों में, आपको धारा 234बी के तहत चार महीने का एक्स्ट्रा पैनल इंटरेस्ट (हर महीने 1%) देना होगा.

बाद में भारी जुर्माना भरने से बचने के लिए, लास्ट डेट्स और एडवांस टैक्स एस्टिमेट्स के बारे में जानकारी रखना जरूरी है. इसके साथ ही लास्ट डेट तक अपने बचे हुए पेमेंट का टैक्स देना बेहतर है.

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