आतिशी (Atishi) के अलावा गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत और सुनीता केजरीवाल के नाम सीएम पद की रेस में चल रहे थे. पर दिल्ली की पीडब्ल्यूडी मंत्री ने सबको पीछे छोड़ दिया. हालांकि सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) के बारे में पहले ही कहा जा रहा था कि उन्होंने सीएम बनने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्ली: आतिशी (Atishi) दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी और वह इस कुर्सी पर बैठने वाली तीसरी महिला हैं. दिल्ली सीएम आवास पर विधायक दल की बैठक में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने खुद उनके नाम का प्रस्ताव दिया था. आतिशी का सीएम बनना बहुत चौंकाने वाला नहीं है क्योंकि दावेदारों में उनका नाम भी चल रहा था. लेकिन आतिशी ने बाकी दावेदारों को कैसे पीछे छोड़ा और कौन सी चीजें आप की इस दिग्गज महिला नेता के पक्ष में गईं, ये सवाल हर किसी के जेहन में हैं.
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सुनीता केजरीवाल का इनकार
सूत्रों के मुताबिक सीएम पद की रेस में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल (Sunita Kejriwal) भी थीं. लेकिन उन्होंने सीएम बनने से इनकार कर दिया. दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पहले ही कहा था, मुझे नहीं मालूम कौन मंत्री या विधायक सीएम बनेगा. पर जहां तक मैं सीएम केजरीवाल की राजनीति को जानता समझता हूं, सुनीता केजरीवाल सीएम नहीं बनेंगी.
कौन सी बातें आतिशी के पक्ष में गईं
राजनीति के जानकारों के मुताबिक आतिशी अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों की करीबी हैं. वहीं आतिशी का महिला होना भी उनके पक्ष में गया है. आप अब महिलाओं के बीच अपनी पकड़ और मजबूत कर सकता है. आतिशी वित्त, योजना, शिक्षा, पीडब्ल्यूडी समेत 14 विभागों की मंत्री हैं, जो काफी महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है. वह शक्तिशाली मंत्री और अनुभवी भी हैं. वहीं जब केजरीवाल जेल में थे, तब आतिशी मजबूती के साथ पार्टी के साथ खड़ी रहीं. इन्हीं चीजों के दम पर आतिशी ने गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और कैलाश गहलोत जैसे मजबूत नेताओं को पीछे छोड़ दिया.
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खड़ाऊ शासन…
सौरभ भारद्वाज ने विधायक दल की बैठक ने पहले ही कहा था कि इस बात से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा. दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को सीएम चुना था और यह जनादेश उनके लिए ही था. यह कुर्सी उन्हीं की है. जब तक दिल्ली में अगला विधानसभा चुनाव नहीं हो जाता है आप का कोई नेता सीएम की कुर्सी पर बैठेगा लेकिन यह वैसा ही होगा राम जी की अनुपस्थिति में भरत ने किया था. यह खड़ाऊ शासन होगा.