अगस्त में भारत का निर्यात 9.3% घटकर 34.71 अरब डॉलर हुआ, जबकि व्यापार घाटा 29.65 अरब डॉलर तक पहुंच गया. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और आयात में वृद्धि ने गिरावट बढ़ गई.
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अगस्त में भारत का निर्यात 9.3% घटकर 34.71 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले 13 महीनों में सबसे बड़ी गिरावट है. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का इस पर गहरा असर पड़ा है.
व्यापार घाटा उच्चतम स्तर पर
इस दौरान व्यापार घाटा 10 महीनों के उच्चतम स्तर 29.65 अरब डॉलर तक पहुंच गया. आयात में वृद्धि, खासकर सोने और चांदी के, ने व्यापार घाटे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
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आयात में वृद्धि
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अगस्त में आयात 3.3% बढ़कर 64.36 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. सोने का आयात अगस्त में दोगुना होकर 10.06 अरब डॉलर हो गया, जबकि चांदी का आयात 72.7 करोड़ डॉलर रहा.
कच्चे तेल का आयात घटा
पेट्रोलियम कीमतों में गिरावट के कारण कच्चे तेल का आयात 32.38% घटकर 11 अरब डॉलर रह गया. इसके परिणामस्वरूप, वस्तु निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
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चालू वित्त वर्ष में स्थिति
इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में निर्यात 1.14% बढ़कर 178.68 अरब डॉलर हुआ, जबकि आयात 7% बढ़कर 295.32 अरब डॉलर रहा. इस अवधि में व्यापार घाटा 116.64 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है.
वैश्विक चुनौतियां
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बताया कि चीन में सुस्ती और यूरोप तथा अमेरिका में मंदी जैसी वैश्विक स्थितियाँ निर्यात को प्रभावित कर रही हैं. इसके अलावा, तेल की कीमतों में गिरावट और परिवहन लागत में वृद्धि भी निर्यात पर असर डाल रही है.
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नए बाजारों की खोज
इसके बावजूद, वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को बढ़ाने के लिए अफ्रीका जैसे नए बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. 12 चैंपियन सेवा क्षेत्रों की पहचान भी की गई है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और परिवहन शामिल हैं.
बढ़ता व्यापार घाटा चिंता का विषय नहीं
बढ़ते व्यापार घाटे पर टिप्पणी करते हुए बर्थवाल ने कहा कि यह भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि यहां की खपत की मांग काफी अधिक है. भारत की अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था की तुलना में तेजी से बढ़ रही है.