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ऑस्ट्रेलिया, इजरायल और भारत मिलकर बढ़ाएंगे आम की उपज, जेवर एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब होगा तैयार

लखनऊ में होने वाली संगोष्ठी में विशेषज्ञ कैनोपी मैनेजमेंट और फ्रूट प्रोटेक्शन जैसी तकनीकों पर चर्चा करेंगे, जिससे आम की खेती और निर्यात में सुधार होगा.

भारत, ऑस्ट्रेलिया और इजरायल के वैज्ञानिक मिलकर आम की उपज और उसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार कर रहे हैं. यह चर्चा 21 सितंबर को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ में आयोजित होने वाली संगोष्ठी “नेशनल डायलॉग ऑन मैंगो इंप्रूवमेंट एंड स्ट्रैटेजिस” में की जाएगी. इसमें तीनों देशों के वैज्ञानिक, प्रजनक और जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ भाग लेंगे.

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इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य आम की उत्पादकता और गुणवत्ता को सुधारना है, जो उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी इस पर विशेष ध्यान है. उत्तर प्रदेश में लखनऊ के मलिहाबाद का दशहरी आम और सहारनपुर के आसपास का चौसा आम, जो देर से पकने वाली प्रजाति है, काफी प्रसिद्ध है. अगर इनकी गुणवत्ता में सुधार होता है, तो इनका निर्यात भी बढ़ सकता है.

एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब और कोल्ड स्टोरेज

योगी सरकार ने जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास एक एक्सपोर्ट हब बनाने की योजना बनाई है, ताकि फल और सब्जियों के उत्पादकों को बेहतर बाजार मिले. इसके साथ ही किसानों की उपज को सुरक्षित रखने के लिए मंडियों में कोल्ड स्टोरेज और राइपेनिंग चैंबर का निर्माण भी हो रहा है.

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केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन ने बताया कि संस्थान क्लस्टर अप्रोच के जरिए काम कर रहा है. इसके तहत 4000 से अधिक बागवानों को जोड़ा गया है और उन्हें 15 साल पुराने बागों के पुनरुद्धार के लिए कैनोपी मैनेजमेंट की तकनीक सिखाई जा रही है. इससे उपज और गुणवत्ता में सुधार होगा.

फ्रूट प्रोटेक्शन और वाटर रेजिस्टेंस तकनीक

संस्थान के आयोजक सचिव आशीष यादव ने बताया कि आम की गुणवत्ता सुधारने के लिए “फ्रूट प्रोटेक्शन” और “वाटर रेजिस्टेंस” तकनीक को किसानों से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. इसमें फलों को कागज के बैग से ढक दिया जाता है, जिससे रोग और कीड़ों का संक्रमण कम होता है और फलों का रंग भी बेहतर होता है.

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इस तकनीक के चलते स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी खुल रहे हैं. शुरुआत में ये बैग चीन से आते थे, लेकिन अब कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के साथ यूपी के मेरठ और अन्य शहरों में भी ये बैग बनने लगे हैं.

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