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Mutual Fund vs FOF: नॉर्मल म्यूचुअल फंड से कैसे अलग हैं फंड ऑफ फंड्स? क्या इनमें करना चाहिए निवेश?

Mutual Fund vs Fund Of Funds : सामान्य म्यूचुअल फंड्स से किस तरह अलग हैं फंड ऑफ फंड्स? क्या है इनकी खासियत और कितना सही है इनमें निवेश करना?

Mutual Fund vs FOFs : which is better for you: आम निवेशकों के बीच म्यूचुअल फंड्स काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. कम जोखिम में बेहतर रिटर्न और लिक्विडिटी का लाभ म्यूचुअल फंड्स के पॉपुलर होने की बड़ी वजह है. म्यूचुअल फंड्स की ही एक खास कैटेगरी है, जिसे फंड ऑफ फंड्स (FOF) कहा जाता है. यह एक ऐसा इनवेस्टमेंट ऑप्शन है, जिसमें निवेशकों के पैसे, सीधे शेयर या बॉन्ड में लगाने की जगह अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स में बांटकर निवेश किए जाते है. यानी इसमें भी निवेशकों के पैसे आखिरकार तो म्यूचुअल फंड्स में ही लगाए जाते हैं. फिर भला ऐसे फंड ऑफ फंड्स की जरूरत क्या है? सामान्य म्यूचुअल फंड्स से ये किस तरह से अलग हैं और इनमें निवेश करना कितना सही है? 

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फंड ऑफ फंड्स की क्या है खूबी?

जैसा कि हमने पहले बताया फंड ऑफ फंड्स (Fund of Funds) ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम को कहते हैं, जो निवेशकों के पैसों को सीधे शेयरों, बांड्स या अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने की बजाय, अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं. इसे कई बार मल्टी-मैनेजर इनवेस्टमेंट भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें निवेशक के पैसे न सिर्फ फंड ऑफ फंड्स के मैनेजर द्वारा मैनेज किए जाते हैं, बल्कि जिन म्यूचुअल फंड्स में FOF की तरफ से निवेश किया जाता है, उनके मैनेजर भी फंड के मैनेजमेंट में परोक्ष रूप से (Indirectly) अपनी भूमिका निभाते हैं. फंड ऑफ फंड्स की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इनके जरिये किया गया निवेश काफी अधिक डायवर्सिफाई हो जाता है. किसी एक ही फंड में निवेश करने की बजाय इसे कम रिस्की माना जाता है.  

FOF और नॉर्मल म्यूचुअल फंड में अंतर

1. इनवेस्टमेंट स्ट्रक्चर : नॉर्मल म्यूचुअल फंड सीधे बाजार में मौजूद शेयरों, बांड्स या अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. जबकि फंड ऑफ फंड्स के मैनेजर निवेशकों के पैसों को सीधे बाजार में निवेश करने की जगह दूसरे म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं. 

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2. रिस्क और डायवर्सिफिकेशन : नॉर्मल म्यूचुअल फंड्स में किया गया निवेश तुलनात्मक रूप से कम डायवर्सिफाइड होता है. कई बार फंड का निवेश किसी खास सेक्टर या थीम पर फोकस्ड हो सकता है, जिससे जोखिम बढ़ता है. फंड ऑफ फंड्स के जरिये कई अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स में निवेश किए जाने से डायवर्सिफिकेशन बढ़ता है और रिस्क कम होता है.

3. फंड मैनेजमेंट : नॉर्मल म्यूचुअल फंड्स को मैनेज करने का काम किसी एक या दो फंड मैनेजर्स द्वारा किया जाता है, जबकि FOF के जरिये किए गए निवेश को मैनेज करने में उन सभी फंड्स के मैनेजर्स की भूमिका होती है, जिनमें फंड ऑफ फंड्स का मैनेजर आपके पैसे लगाता है. इसकी वजह से FOF में बहुत सारे फंड मैनेजर्स के अनुभव और विशेषज्ञता का लाभ मिलता है.

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फंड ऑफ फंड्स के फायदे

फंड ऑफ फंड्स में निवेशकों को कम पूंजी में भी कई एसेट क्लास में निवेश करने का मौका मिलता है. जिससे रिस्क कम करने में मदद मिलती है. FOFs में सारा निवेश एक ही फोलियो नंबर से जुड़ा होता है, जिससे इनवेस्टमेंट और रिडेम्पशन करना आसान होता है. इसके अलावा FOF के भीतर होने वाले निवेश की रीबैलेंसिंग पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगता, क्योंकि इसे आंतरिक लेनदेन माना जाता है. FOFs में निवेश उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है जिन्हें बाजार की जानकारी कम होती है. 

फंड ऑफ फंड्स की कमियां

ज्यादा एक्सपेंस रेशियो : फंड ऑफ फंड्स का एक्सपेंस रेशियो (Expense Ratio) दूसरे म्यूचुअल फंड्स की तुलना में ज्यादा हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें FOF की मैनेजमेंट फीस के अलावा उन सभी म्यूचुअल फंड्स के मैनेजमेंट का खर्च भी आंतरिक रूप से शामिल रहता है, जिनमें FOF के पैसे निवेश किए जाते हैं. 

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टैक्स ट्रीटमेंट : FOFs का एक नुकसान यह भी है कि अगर इसका घरेलू लिस्टेड कंपनियों में कुल निवेश (दूसरे इक्विटी फंड्स के जरिये), 90% से कम है, तो इसे इक्विटी फंड नहीं माना जाएगा. ऐसा होने पर उस FOF पर गैर-इक्विटी फंड यानी डेट फंड की तरह टैक्स देना पड़ेगा. 

पोर्टफोलियो का दोहराव (Duplication of Portfolio) : कई बार FOF का निवेश दो या दो अधिक ऐसे म्यूचुअल फंड्स में हो सकता है, जिनके पोर्टफोलियो में समान एसेट्स होते हैं. इससे सही मायने में डायवर्सिफिकेशन होने की जगह दोहराव का खतरा रहता है.

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क्या आपको फंड ऑफ फंड्स में निवेश करना चाहिए?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए एक बात हमें याद रखें : फंड ऑफ फंड्स में डाला गया आपका पैसा भी आखिरकर नॉर्मल म्यूचुअल फंड्स में ही निवेश किया जाता है. सिर्फ बीच में फंड मैनेजरों की कुछ और परतें जुड़ जाती हैं. इसलिए अगर आप नए निवेशक हैं और डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से अपने लिए सही म्यूचुअल फंड्स का चुनाव करने में दिक्कत महसूस करते हैं, तो फंड ऑफ फंड्स एक अच्छा विकल्प हो सकता है. फिर भी निवेश से पहले आपको FOF के एक्सपेंस रेशियो और टैक्स ट्रीटमेंट के बारे में जरूर पता कर लेना चाहिए. लेकिन अगर आप हाई रिटर्न के लिए रिस्क उठाने को तैयार हैं और निवेश के खर्च यानी एक्सपेंस रेशियो को कम रखना चाहते हैं, तो सीधे-सीधे नॉर्मल म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना बेहतर ऑप्शन है.

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