मध्य प्रदेश के कई जिलों के सरकारी स्कूलों में छात्रों का संकट खड़ा हो गया है। मध्याह्न भोजन और मुफ्त वर्दी स्कीम का भी असर नहीं दिख रहा है। सरकारी की जगह माता-पिता निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना बेहतर समझ रहे हैं। यही वजह है कि पांच हजार से अधिक स्कूलों में पहली कक्षा सूनी पड़ी है। इस बात का खुलासा राज्य शिक्षा केंद्र की रिपोर्ट में हुआ।
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- अभिभावक निजी स्कूलों का कर रहे रुख।
- बुनियादी ढांचा भी कम दाखिले की वजह।
- मध्य प्रदेश में 94039 कुल सरकारी स्कूल।
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूल छात्रों के संकट से गुजर रहे हैं। दरअसल, अभिभावकों का मोह सरकारी स्कूलों से टूटने लगा है। यही वजह है कि हजारों स्कूलों में एक भी दाखिला नहीं हुआ है। इस साल प्रदेश के 5,500 स्कूलों में कक्षा एक में कोई भी दाखिला नहीं हुआ है। सरकारी स्कूल की जगह अभिभावक निजी स्कूलों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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5,500 स्कूलों में पहली कक्षा में कोई दाखिला नहीं
मध्य प्रदेश के राज्य शिक्षा केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 5,500 से अधिक सरकारी स्कूलों में इस साल कक्षा एक में किसी भी बच्चे ने दाखिला नहीं लिया। वहीं 25 हजार स्कूलों में सिर्फ एक-दो छात्रों ने ही पहली कक्षा में प्रवेश लिया। 11,345 स्कूल ऐसे हैं, जहां 10 से कम विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है। मध्य प्रदेश में कुल 94,039 सरकारी स्कूल हैं। इनमें से लगभग 23,000 स्कूलों में सिर्फ 3 से 5 बच्चों ने दाखिला लिया है।
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इन जिलों में सबसे अधिक शून्य दाखिले
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक खराब बुनियादी ढांचा भी कम दाखिले की एक वजह है। इससे अभिभावकों का मोह सरकारी स्कूलों से भंग हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक बैतूल, विदिशा, मंदसौर, देवास, सागर, रायसेन, नरसिंहपुर, सतना, सिवनी और खरगोन जैसे जिलों में शून्य दाखिले के मामले सबसे अधिक सामने आए हैं।