बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों का खौफ बना हुआ है। इसका असर ये हो रहा है कि बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय इस बार दुर्गा पूजा उत्सव को रद्द करने पर विचार कर रहा है। इसकी वजह अंतरिम सरकार का तुगलकी फरमान है। बांग्लादेश में तमाम मुस्लिम संगठनों और सरकार की ओर से सख्त आदेश जारी किए जा रहे हैं। इन आदेशों में बांग्लादेश के भीतर दुर्गापूजा मनाने पर रोक लगा दी गई है। वहीं कुछ जगहों पर पंडाल लगाने के लिए बाकायदा ‘जजिया’ टैक्स मांगा जा रहा है। बतौर टैक्स पंडाल लगाने पर 5 लाख रुपये मांगे गए हैं।
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बता दें कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। बांग्लादेश अब भी वहां दुर्गा पूजा मनाने नहीं दे रहा है। यही वजह है कि बांग्लादेश में दुर्गा पूजा को लेकर बवाल मचा हुआ है। हिंदुओं को दुर्गा पूजा नहीं मनाने दिया जा रहा है। कई जगहों पर मां की मूर्तियां तोड़ी गई हैं। लूटपाट की रिपोर्ट भी सामने आई है।
नमाज के दौरान पंडाल में खामोशी का फरमान
इस बीच मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने एक और तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। सरकार ने कहा है कि वो अजान और नमाज के दौरान अपने संगीत वाद्ययंत्र और साउंड सिस्टम बंद रखें। यह बयान कथित तौर पर गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहाँगीर आलम चौधरी ने कानून और व्यवस्था की बैठक के बाद दिया था। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश की तमाम दुर्गा पूजा समितियों को धमकी भरे पत्र भेजे जा रहे हैं। किशोरगंज के बत्रिश गोपीनाथ जीउर अखाड़ा में मां दुर्गा की एकदम नई प्रतिमा तोड़ी गई है। वहीं, बांग्लादेश के कोमिला जिले में एक नई बनाई गई दुर्गा प्रतिमा को तोड़ दिया गया है। मंदिर के दान पात्र को लूट लिया गया है।
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जजिया की वजह से पूजा नहीं करने का फैसला
पूजा समितियों को दुर्गा पूजा से पहले लिखित में 5 लाख रुपये प्रति पूजा पंडाल ‘जजिया’ कर के रूप में देने को कहा गया है। सूत्रों ने कहा कि जजिया टैक्स की वजह से बहुत बड़ी संख्या में समितियों ने पूजा का आयोजन नहीं करने का फैसला किया है। बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से ही हालात बदतर हो गए हैं। यहां अब कट्टरपंथियों का कब्जा है। कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। पुलिस और प्रशासन की ओर से पर्याप्त कदम नहीं उठाए जाने की वजह से ही दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान एक के बाद एक तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैं।