देश में UPI,ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर जैसी सुविधाओं का प्रसार होने के साथ बैंक (Bank) में दिखाई देने वाली भीड़ लगातार कम होती गई। लेकिन, देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आज भी नई तकनीकों को इस्तेमाल करने में असमर्थ है। साथ ही, कई ऐसे गांव हैं, जहां बैंकों ने अभी जड़ें नहीं जमाई हैं, जिसके कारण गांवों के लोगों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
बैंकों तक पहुंच को आसान बनाने और महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के दोहरे उद्देश्य को साल 2020 में लॉन्च की गई बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट (बीसी) सखी योजना (Banking Sakhi Yojana) पूरा कर रही है। यूपी की बीसी सखियों ने पिछले साल तक करीब 22 हजार करोड़ रुपये का बैंकिंग लेनदेन (Bank Tranascations) किए हैं। सितंबर, 2023 से अब तक बीसी सखियों ने करीब 5 हजार करोड़ का लेनदेन किया है।
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क्या सेवाएं मिलती हैं
बीसी सखियां पैसों की निकासी, ट्रांसफर, लोन दिलाने में मदद, लोन रिकवरी में बैंक की मदद, बीमा लेने में मदद, आयुष्मान भारत, पीएम जीवन ज्योति, अटल पेंशन, पीएम स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं का लाभ दिलाना, अनुदान भुगतान, बिल भुगतान और सभी बैंकिंग सेवाएं गांवों के लोगों तक पहुंचाने का काम करती हैं।
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39 हजार बीसी सखियों की 75 करोड़ कमाई
इन सालों में बीसी सखियां बैंकिंग सेवाओं को लेकर घर-घर पहुंची हैं। वहीं, बैंकों को ग्रामीण घरों तक पहुंचने के साथ 27 हजार करोड़ रुपये का कारोबार भी मिला है। इस सेवा के बदले उत्तर प्रदेश की 39 हजार बीसी सखियों को 75 करोड़ रुपये की कमाई करने का मौका मिला है। बीसी सखियों ने पिछले साल करीब 22 हजार करोड़ रुपये का बैंकिंग लेनदेन किया था। सितंबर, 2023 से अब तक बीसी सखियों ने करीब 5 हजार करोड़ रूपये का लेनदेन किया है।
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कैसे बनें बैंक सखी
बैंक सखी बनने के लिए उम्मीदवार के लिए 10वीं पास होने के साथ-साथ अंकगणित का बुनियादी ज्ञान होना जरूरी है। बीसी सखी बनाने के लिए पूर्व सैनिक, पूर्व शिक्षक, पूर्व बैंक-कर्मी और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है। वहीं, उम्मीदवार को कंप्यूटर चलाना आना चाहिए। उम्मीदवार के ऊपर कोई पुलिस केस नहीं होना चाहिए। उम्मीदवार का चुनाव साक्षात्कार के माध्यम से होता है।