छोटे शहरों के स्टेशनों पर भी जल्द ही यात्रियों को जनरल और प्लेटफॉर्म टिकट आसानी से मिल सकेंगे। रेलवे बोर्ड ने उन स्टेशनों पर जेटीबीएस स्थापित करने की योजना बनाई है जहां वर्तमान में एसटीबीए तैनात हैं। इस पहल का उद्देश्य जनरल टिकटों को भी पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना है। हालांकि मोबाइल यूटीएस ऐप में कुछ तकनीकी खामियों के कारण लोगों का रुझान अभी भी कम है।
- 24 स्टेशनों पर फरवरी तक कार्य करते रहेंगे एसटीबीए
- एसटीबीए के साथ-साथ जेटीबीएस लगाने की योजना
- जनरल टिकट के लिए एप के उपयोग पर जोर
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। छोटे शहरों में भी स्टेशनों के बाहर यात्रियों को जनरल टिकट और प्लेटफार्म टिकट मिल जाएंगे। रेलवे बोर्ड जिन स्टेशनों पर स्टेशन टिकट बुकिंग एजेंट (एसटीबीए) तैनात हैं, उन स्टेशनों के आसपास जनसाधारण टिकट बुकिंग सेवक (जेटीबीएस) स्थापित करने की योजना बना रहा है।
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फिलहाल, रेलवे बोर्ड ने पायलट प्रोजेक्ट एनएसजी-4 वाले स्टेशनों पर एसटीबीए की तैनाती अवधि फरवरी 2025 तक बढ़ा दी है। पूर्वोत्तर रेलवे में बढ़नी और आनंदनगर सहित 24 स्टेशनों पर फरवरी तक एसटीबीए तैनात रहेंगे।
जनरल टिकट को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने की कवायद तेज
आरक्षित टिकटों की तरह जनरल टिकट को भी पूरी तरह डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने की कवायद तेज हो गई है। स्टेशनों पर जनरल टिकट की बुकिंग को लेकर रेलवे बोर्ड स्तर पर समीक्षा चल रही है। बोर्ड ने क्षेत्रीय रेलवे से फीडबैक भी मांगा है। बोर्ड एसटीबीए की उपयोगिता को कम कर खर्चों में कटौती करने पर बल दे रहा है।
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बोर्ड का कहना है कि अधिकारी स्टेशनों पर अधिक से अधिक मोबाइल यूटीएस एप के उपयोग पर जोर दे। ताकि, यात्री घर बैठे मोबाइल पर ही ऑनलाइन जनरल टिकट बुक कर सकें। इसलिए, एसटीबीएस की तैनाती को सिर्फ 21 फरवरी 2025 तक ही अवधि विस्तार दिया है। आगे के विस्तार पर विचार किया जा रहा है।
बेहतर सुविधा के बाद भी तकनीकी खामी बनी रोड़ा
दरअसल, रेलवे प्रशासन ने जनरल टिकट को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने के लिए मोबाइल यूटीएस एप लांच किया है। बेहतर सुविधा के बाद भी कुछ तकनीकी खामी के चलते एप के प्रति लोगों का रुझान नहीं बढ़ पा रहा। यद्यपि, रेलवे बोर्ड ने खलीलाबाद और सलेमपुर जैसे स्टेशनों पर प्रयोग के तौर पर एसटीबीए तैनात किया है, जो रेलवे से कमीशन लेकर टिकट बेचते हैं।
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जानकारों का कहना है कि रेलवे बोर्ड टिकटों की बुकिंग में कोई खर्च नहीं करना चाहता। ऐसे में वह मोबाइल एप या बड़े की तरह छोटे शहरों में भी जेटीबीएस स्थापित करना चाहता है। ताकि, एजेंट यात्री से कमीशन लेकर टिकट बेच सकें। गोरखपुर जंक्शन के सामने दर्जन भर जेटीबीएस स्थापित हैं।