मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर को मुंबई में निधन हो गया.
86 साल के रतन टाटा टाटा समूह के मानद चेयरमैन थे.
उनके निधन के बाद एक अहम सवाल उठ खड़ा हुआ है-
रतन टाटा के बाद लगभग 34 लाख करोड़ रुपये के टाटा समूह का नेतृत्व कौन करेगा?
फिलहाल एन चंद्रशेखरन टाटा समूह का नेतृत्व कर रहे हैं.
टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज यानी टीसीएस के सीईओ रहे चंद्रशेखरन 2017 से ही टाटा संस के चेयरमैन हैं.
टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड टाटा समूह की प्रमुख होल्डिंग कंपनी और प्रमोटर है.
चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टाटा समूह ने हाल के वर्षों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है.
लेकिन टाटा समूह के भविष्य की लीडरशिप किसके पास होगी इसे लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है.
नोएल टाटा की दावेदारी
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चूंकि रतन टाटा अविवाहित रहे और उनकी कोई संतान नहीं है इसलिए अब इस बात की चर्चा हो रही है कि उनके नजदीकी रिश्तेदारों में कौन ऐसा है, जिसे समूह की बागडोर सौंपी जा सकती है.
इस लिहाज से सबसे मजबूत दावेदार के तौर पर नोएल टाटा का नाम सामने आ रहा है. नोएल टाटा रतन टाटा के सौतेले भाई हैं.
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रतन टाटा के निधन के बाद सबसे ज्यादा कयास इस बात को लेकर है कि आख़िर उन 13 ट्रस्टों की कमान किसके हाथ में होगी, जिनकी 34 लाख करोड़ रुपये से अधिक के टाटा समूह में 66.4 फ़ीसदी हिस्सेदारी है.
क्योंकि इन सभी ट्रस्टों की लीडरशिप जिसके पास होगी, वही टाटा समूह के उत्तराधिकार का सबसे मजबूत दावेदार माना जाएगा.
चूंकि रतन टाटा ने इन सभी ट्रस्टों का कोई उत्तराधिकार घोषित नहीं किया था. इसलिए उनके सौतेले भाई नोएल टाटा सबसे मजबूत दावेदार बन कर उभर रहे हैं.
नोएल टाटा इन 13 ट्रस्टों में सबसे मजबूत सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं.
अकेले इन दोनों ट्रस्टों के पास टाटा संस में 55 फीसदी हिस्सेदारी है.
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लिहाजा वो सभी संभावित उत्तराधिकारियों में सबसे मजबूत नज़र आ रहे हैं.
कौन हैं नोएल, टाटा समूह में कितना असर
नोएल टाटा और रतन टाटा के संबंध शुरू में अच्छे नहीं थे. लेकिन धीरे-धीरे नोएल का कद टाटा समूह में बढ़ता गया. हाल के दिनों में टाटा समूह को नियंत्रित करने वाले ट्रस्टों में उन्होंने अपनी भूमिका बढ़ानी शुरू की.
फ़रवरी 2019 में उन्हें सर रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया. इससे पहले 2018 में उन्हें टाटा समूह की एक अहम कंपनी टाइटन में वाइस चेयरमैन बनाया गया था.
मार्च, 2022 में उन्हें टाटा स्टील का वाइस चेयरमैन बनाया गया.
नोएल को 2011 में उन्हें टाटा इंटरनेशनल का चेयरमैन बनाया गया था और फिर अगले एक दशक के दौरान वो टाटा के रिटेल चेन ट्रेंट के चेयरमैन रहे.
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ट्रेंट ही क्रोमा, वेस्टसाइड, ज़ूडियो, स्टार बाज़ार जैसी रिटेल चेन चलाती है. हालांकि इसमें टाटा स्टारबक्स, टाइटन और तनिष्क शामिल नहीं है.
नोएल टाटा वोल्टास और टाटा इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन के भी चेयरमैन हैं.
नोएल टाटा 2010 से 2021 तक टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर रहे और इस दौरान उन्होंने इसका टर्नओवर 50 करोड़ डॉलर से बढ़ा कर तीन अरब डॉलर तक पहुंचा दिया. उनके नेतृत्व में 1998 में ट्रेंट की शुरुआत एक स्टोर से हुई थी. लेकिन आज इसके 700 स्टोर हैं.
नोएल टाटा ने ब्रिटेन के ससेक्स से ग्रेजुएशन किया और फिर इनसिड (INSEAD) का इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम पूरा किया. वो नवल एच टाटा और सिमोन एन. टाटा के बेटे हैं. यानी रतन टाटा के सौतेले भाई.
नोएल की दावेदारी कितनी मजबूत
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‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ ने टाटा के ट्रस्टों में रतन टाटा के साथ काम करने का अनुभव ले चुके एक पूर्व ट्रस्टी के हवाले से बताया है कि नोएल टाटा में इन ट्रस्टों की अध्यक्षता करने की सभी काबिलियतें हैं.
अपना नाम ना जाहिर करते हुए इस ट्रस्टी ने नोएल टाटा के पक्ष में कई तर्क दिए.
उन्होंने कहा कि नोएल एक तो टाटा परिवार से हैं, जिस पर निवेशकों को काफी भरोसा और विश्वास है.
दूसरे उनके पास ट्रस्ट में काम करने का अनुभव है और तीसरे टाटा संस को उत्तराधिकारी घोषित करने के समय समूह को पारसी समुदाय की भावनाओं का भी ख्याल रखना होगा जो टाटा नाम से काफी भावनात्मक लगाव रखता है.
रतन टाटा ने टाटा संस के लिए पारसी समुदाय के सदस्य और टाटा संस में सबसे बड़े बाहरी हिस्सेदार के तौर पर साइरस मिस्त्री को उत्तराधिकारी चुन लिया था.
हालांकि विवादों की वजह से साइरस मिस्री को लेकर उनका ये प्रयोग सफल नहीं रहा. बाद में उन्होंने टाटा समूह की कंपनियों के नेतृत्व के लिए एन चंद्रशेखरन का चुनाव किया.
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लेकिन ये कहा जा रहा है कि मरने से पहले वो टाटा के ट्रस्टों के लिए किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर पाए थे.
जबकि टाटा ट्रस्ट के उत्तराधिकारी के पास ही टाटा समूह को नियंत्रित करने की असली ताकत होगी.
क्योंकि 34 लाख करोड़ रुपये के टाटा के कारोबारी साम्राज्य की सबसे बड़ी हिस्सेदारी (66.4 फ़ीसदी) इसी के पास है. 13 ट्रस्टों में से छह सर दोराबजी ट्रस्ट को चलाते हैं और सात सर रतन टाटा ट्रस्ट को.
क्या मेहली मिस्त्री भी हैं मजबूत दावेदार?
इंडियन एक्सप्रेस’ में वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर ने भी लिखा है कि नोएल टाटा सबसे मजबूत दावेदार हैं.
क्योंकि वो टाटा समूह की कई कंपनियों का नेतृत्व करने के अलावा सर रतन टाटा बोर्ड में भी हैं. इससे उन्हें पूरे टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन बनने में मदद मिल सकती है. टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स यानी टाटा से जुड़े सभी ट्रस्टों के समूह की ही नियंत्रणकारी हिस्सेदारी है.
उनके मुताबिक़ रतन टाटा के छोटे भाई जिम्मी टाटा को उत्तराधिकार नहीं मिल सकता क्योंकि वो फैमिली बिज़नेस में शामिल नहीं हैं और लाइमलाइट से दूर रहते हैं.
कूमी कपूर ने कॉरपोरेट सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एक और मजबूत उम्मीदवार साइरस मिस्त्री की कजिन मेहली मिस्त्री हो सकती हैं. मिस्त्री मेहरजी पलोन जी ग्रुप की डायरेक्टर हैं. वो रतन टाटा के साथ काम कर चुकी हैं. वह कई साल तक टाटा ग्रुप से जुड़ी रही हैं.
उन्होंने लिखा है, ”ग्रुप में कोई ऐसा भी हो सकता है जो छुपा रुस्तम निकले. ग्रुप से बाहर कोई उम्मीदवार सामने आ सकता है.”
”टाटा ग्रुप में एग्जीक्यूटिव पोजीशन से रिटायर होने की उम्र 65 साल है. जबकि बोर्ड पोजीशन से रिटायर होने की उम्र 70 साल है. मौजूदा चयेरमैन चंद्रशेखरन के पास इस लिहाज से अभी चार साल हैं.”
”पलोन जी मिस्त्री ग्रुप के शपूर मिस्त्री की टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है. लेकिन उनकी दावेदारी कमज़ोर है क्योंकि टाटा ग्रुप के साथ उनकी क़ानूनी लड़ाई चल रही है.”
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भविष्य के संभावित उत्तराधिकारी
इसके अलावा नोएल टाटा के तीन बच्चों, माया, नेवेली और लिया टाटा को टाटा समूह के अगले संभावित उत्तराधिकारियों के तौर पर देखा जा रहा है.
माया टाटा
34 साल की माया टाटा का टाटा ग्रुप मे अच्छा प्रभाव है. उन्होंने बेयस बिज़नेस स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉरविक से शिक्षा पूरी की है.
टाटा अपॉर्च्यूनिटिज फंड और टाटा डिजिटल में उनकी अहम भूमिका है. टाटा न्यू एप को लॉन्च करने में उनकी अहम भूमिका रही है.
नेवेली टाटा
32 साल के नेवेली टाटा टाटा समूह के कारोबार से गहरे जुड़े हैं. उनकी शादी किर्लोस्कर टोयोटा ग्रुप की उत्तराधिकारी मानसी किर्लोस्कर से हुई है.
नेवेली ट्रेंट के प्रमुख हाइपर मार्केट चेन स्टार बाज़ार का नेतृत्व करते हैं. उनकी नेतृत्वकारी भूमिका को देखते हुए उन्हें टाटा ग्रुप के अगले संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है.
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लिया टाटा
39 साल की लिया टाटा, टाटा ग्रुप के हॉस्पेटिलिटी सेक्टर में योगदान देते हैं. स्पेन के आईई बिज़नेस स्कूल से पढ़ीं लिया ने ताज होटल्स, रेसॉर्ट्स और पैलेसेज के प्रबंधन में काफी अहम योगदान दिया है.
वो इंडियन होटल कंपनी का ऑपरेशन देखती हैं. उन्होंने हॉस्पिटिलिटी इंडस्ट्री में टाटा ग्रुप की मौजूदगी काफी बढ़ाई है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित