फार्मर रजिस्ट्री एप से किसान अपनी जमीन फसल आदि का डाटा अपने मोबाइल पर देख सकेंगे। आधार की तरह किसान को एक नंबर जारी किया जाएगा जिससे वह अपना डाटा देख सकेगा। इस ऐप पर डाटा अपलोड होने के बाद अनेक किसानों को राहत मिल जाएगी तो कुछ किसानों को इस ऐप से नुकसान भी होगा। फार्मर रजिस्ट्री होते ही कई अपात्र PM Kisan Samman Nidhi से बाहर हो जाएंगे।
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- अनेक किसानों की जमीन पहुंच चुकी है आबादी में, कागजों में दर्ज है कृषि भूमि
- पांच जुलाई से प्रदेश में किया जाना था सर्वे, आज तक नहीं शुरू हो पाया कार्य
ध्रुव शर्मा, हापुड़। उत्तर प्रदेश के किसानों की संपूर्ण जानकारी एक ही एप पर रखने के लिए फार्मर रजिस्ट्री कार्य पांच जुलाई से शुरू होना था। इसमें किसान का डाटा आधार की तरह दर्ज होना था। इस एप पर कार्य पूर्ण होने के बाद फार्मर रजिस्ट्री एप पर किसान की जमीन, फसल आदि का डाटा मिल जाता, लेकिन अभी तक यह कार्य पूर्ण होना तो दूर शुरू भी नहीं हो पाया है।
इसके कारण किसानों को अपने पुराने तरीकों से ही कार्य करने पड़ रहे है। इससे अनेक किसानों को लाभ होगा तो कुछ किसानों के लिए यह मुसीबत का सबब भी बन सकता है। ऐसे किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधी सहित कई योजनाओं के लाभ से दूर हो जाएंगे।
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फार्मर रजिस्ट्री एप पर किया गया था सर्वे
प्रदेश के फरुर्खाबाद जिले और हापुड़ के गांव छज्जुपुर में फार्मर रजिस्ट्री एप पर करीब 14 महीने पहले सर्वे किया गया था। इस एप को पांच जुलाई से धरातल पर अमल में लाया जाना था। इसमें लेखपाल एवं कृषि विभाग के कर्मचारी गांव-गांव जाकर फार्मर रजिस्ट्री एप पर किसानों का डाटा अपलोड करते। डाटा अपलोड करने के बाद केवाईसी की जानी थी।
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आधार की तरह किसान को जारी किया जाता है एक नंबर
इस एप के माध्यम से किसान अपनी संपूर्ण जमीन, फसल आदि का डाटा अपने मोबाइल एप पर जाकर देख सकते थे। इस एप पर डाटा अपलोड होने के बाद किसानों की तहसील आदि से जमीन के दस्तावेज जैसे फर्द, खतोनी, हिस्सा प्रमाण पत्र, अनुदान के समय दिए जाने वाले दस्तावेज, बीज आदि के लिए भागदौड़ की प्रकिया बंद हो जाती।
आधार की तरह किसान को एक नंबर जारी कर दिया जाता। इस पर जाकर वह अपना पूर्ण डाटा देख सकता था, लेकिन तीन माह से अधिक का समय बीतने के बाद भी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।
कुछ किसानों को होगा नुकसान
इस ऐप पर डाटा अपलोड होने के बाद अनेक किसानों को राहत मिल जाएगी तो कुछ किसानों को इस ऐप से नुकसान भी होगा। दरअसल कुछ किसानों की जमीन आबादी में पहुंच गई तथा उन पर मकान आदि बन चुके है, लेकिन वह दस्तावेज में कृषि भूमि में दर्ज है।
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ऐसे में विभाग जब मौके पर जाकर फोटो एवं सर्वे करेगा तो ऐसे किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, केसीसी आदि मिलने वाली कई तरह की सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे। ऐसे में इस तरह के किसानों में बेचैनी बढ़नी शुरू हो गई है।
इस तरह समझे
उदाहरण के तौर पर एक किसान के पास अलग अलग गांव, तहसील अथवा देश के किसी भी हिस्से में खेती की जमीन है, तो उसको ऋण अथवा अन्य लाभ लेने के लिए अलग अलग गांव की जमीन की फर्द,हिस्सा प्रमाण पत्र, खतौनी आदि निकलवानी होती थी।
इस एप पर जमीन दर्ज होने के बाद जैसे ही केवाईसी की जाएगी तो दूसरे स्थानों पर जहां-जहां किसान की जमीन है, उसकी जानकारी इस एप पर आ जाएगी तथा एक साथ पूरी जमीन का क्षेत्रफल, फसल आदि किसान के नाम पर दर्ज हो जाएगा। इसके बाद किसान को(आधार कार्ड) की तरह जारी नंबर पर जाकर जमीन का पूर्ण विवरण देखा जा सकता है।
यह है स्थिति
- हापुड़ जिले में किसानों की संख्या – 124735
- हापुड़ में कृषि का क्षेत्रफल हेक्टेयर में – 87025
किसान को होगा फायदा
इस एप पर दर्ज जानकारी के आधार पर ही किसान को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सकेगा तो वहीं ऋण आदि लेने में किसान को अलग अलग जमीन संबंधी दस्तावेज एकत्र नहीं करने होंगे।
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एक तरह से किसान का यह फार्मर रजिस्ट्री एप किसान की पहचान बन जाएगा तथा उसकी संपूर्ण जानकारी एक नंबर पर ही मिल जाएगी, लेकिन इस ऐप पर कार्य शुरू नहीं होने के कारण किसान पूर्व की तरह ही अपने कार्य को पूर्ण कर रहे हैं।