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सरकार ने रिवाइज किए 8 दवाओं के दाम, टीबी और दिल की बीमारी से लेकर इमरजेंसी तक में होती हैं इस्तेमाल

सरकार की तरफ से टीबी, हार्ट और इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाली 8 दवाओं के दाम रिवाइज कर दिए गए हैं. इनका इस्तेमाल क्रिटिकल केयर में फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट में होता है. दवाओं की कीमतों की सीमा में करीब 50 फीसदी की कटौती की गई है.

सरकार की तरफ से टीबी, हार्ट और इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाली 8 दवाओं के दाम रिवाइज कर दिए गए हैं. इनका इस्तेमाल क्रिटिकल केयर में फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट में होता है. दवाओं की कीमतों की सीमा में करीब 50 फीसदी की कटौती की गई है. यानी पहले की तुलना में अब ये दवाएं आधी कीमत पर मिल सकेंगी.

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नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी यानी एनपीपीए की तरफ से जिन दवाओं की कीमतों को रिवाइज किया गया है, उनमें अस्थमा, ग्लूकोमा, थैलीसीमिया, टीबी, मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर आदि की दवाएं भी हैं. जिन दवाओं की सीलिंग प्राइस को रिवाइज किया गया है, उनमें Benzyl Penicillin 10 lakh IU इंजेक्शन, Atropine इंजेक्शन 06.mg/ml, इंजेक्शन 750 mg और 1000 mg के लिए Streptomycin पाउडर, Salbutamol टैबलेट 2 mg और 4 mg और respirator solution 5 mg/ml, Pilocarpine 2% drops, Cefadroxil शामिल हैं.

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दवाओं की उपलब्धता जरूरी

अथॉरिटी का कहना है कि जरूरी दवाओं को सस्ते दाम पर उपलब्ध कराने के साथ-साथ ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि ऐसी दवाओं की किल्लत ना हो. जरूर दवाएं हर वक्त उपलब्ध रहनी चाहिए. बता दें कि यह लाइफ सेविंग ड्रग्स हैं, ऐसे में इनकी कमी से किसी की जान भी जा सकती है. यह भी कहा है कि प्राइस रेगुलेशंस से ऐसे भी हालत पैदा नहीं होने चाहिए कि बाजार से दवाएं ही गायब हो जाएं.

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क्या होते हैं शेड्यूल्ड ड्रग्स?

शेड्यूल्ड ड्रग्स ऐसी दवाओं को कहा जाता है, जिनके लिए डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन जरूरी होता है. कोई भी इन्हें बिना प्रिस्क्रिप्शन के काउंटर पर जाकर नहीं खरीद सकता. भारत में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के तहत दवाओं को अलग-अलग अनुसूचियों में बांटा हुआ है. इनमें से एक अनुसूची एच (H) है, जिसमें शामिल दवाओं को योग्य डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना किसी को नहीं दिया जा सकता है.

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