MCLR क्या है?
MCLR का मतलब है मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट. यह वह न्यूनतम ब्याज रेट है जिस पर बैंक पैसे उधार दे सकते हैं. यह रेट्शाता है कि बैंकों के लिए खुद पैसे उधार लेना कितना महंगा है.
SBI ने अपने एक महीने के MCLR को 25 बेसिस पॉइंट्स, यानी 0.25%, कम कर दिया है. अब यह रेट 8.20% है, जो पहले 8.45% थी. यह बदलाव 15 अक्टूबर से प्रभावी है.
लोन लेने वालों को कैसे मिलेगी राहत?
कई लोन, जैसे कि घर और कार के लोन, MCLR रेट से जुड़े होते हैं. जब MCLR घटता है, तो मासिक भुगतान, जिसे EMI कहा जाता है, वह भी कम हो जाता है. इसका मतलब है कि उधारकर्ताओं को हर महीने कम पैसे चुकाने होंगे.
यदि आपका लोन MCLR से जुड़ा है, तो आपकी नई EMI आपके लोन की रीसेट अवधि पर निर्भर करेगी. रीसेट अवधि के बाद, आप अपने भुगतान में कम रेट देखेंगे.
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MCLR का बैकग्राउंड
MCLR प्रणाली 2016 में शुरू की गई थी. इसका मकसद लोगों के लिए यह समझना आसान बनाना था कि बैंक अपनी उधारी की रेटें कैसे निर्धारित करते हैं. पहले, बैंकों को अपनी रेटें तय करने में अधिक स्वतंत्रता थी, जिससे ग्राहकों के लिए यह भ्रमित करने वाला हो सकता था.
MCLR का इस्तेमाल करके, बैंकों को अपनी उधारी की रेटें अपने उधारी के खर्च से जोड़ना होता है. इससे प्रक्रिया अधिक पाररेट्शी और उधारकर्ताओं के लिए उचित हो जाती है.
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रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह रेट है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को पैसे उधार देता है. RBI ने हाल ही में घोषणा की है कि वह रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखेगा. यह निर्णय दस बार लगातार किया गया है.
RBI का यह फैसला यह प्रभावित करता है कि बैंक अपनी खुद की रेट कैसे निर्धारित करते हैं, जिसमें MCLR भी शामिल है. जब रेपो रेट स्थिर होती है, तो बैंक भी अपनी उधारी दरों को स्थिर रख सकते हैं, लेकिन SBI की तरह एक कमी दिखाती है कि वे अपने उधारी के खर्चों के कम होने पर रेटें कम कर सकते हैं.
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
SBI द्वारा MCLR में कमी उधारकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है. कम EMI का मतलब है कि लोगों के जेब में अधिक पैसा रहेगा. इससे वे बचत कर सकते हैं या अन्य चीजों पर खर्च कर सकते हैं.
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कुल मिलाकर, SBI का यह कदम अपने ग्राहकों का समर्थन करने का प्रयास दिखाता है. यह आर्थिक कठिनाइयों के दौरान लोनों को और अधिक सस्ती बनाने की दिशा में एक कदम है.
गौरतलब है कि SBI का MCLR में कटौती कई उधारकर्ताओं के लिए EMI को कम करेगा. यह बैंक के उधारी के खर्चों में बदलाव को रेट्शाता है और RBI के रेपो रेट बनाए रखने के निर्णय के बाद आता है. यह परिवर्तन देश भर के उधारकर्ताओं को राहत देने की उम्मीद है