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राजीव गांधी सरकार का फैसला एक दम सही… सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता एक्ट की धारा 6A को रखा बरकरार, 4-1 से फैसला

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Supreme Court on Citizenship Act: नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाया. चार जजों ने इसके पक्ष में फैसला दिया जबकि एक जज ऐसे भी हैं जिनकी राय इस कानून पर बाकियों से अलग थी.

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नई दिल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. यह धारा 1955 के अधिनियम में राजीव गांधी सरकार द्वारा 1985 में डाला गया एक विशेष प्रावधान है, जिसके तहत 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले अप्रवासियों को नागरिकता प्रदान की गई. असम समझौते के बाद 1985 में लागू किए गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6A ने 1966-1971 के बीच भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों की नागरिकता पर रोक लगा दी और उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया था.

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-1 के बहुमत से इस नियम को बरकरार रखा. न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने इसपर असहमति जताई, जबकि बाकी चार जज- न्यायमूर्ति सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा ने इसके समर्थन में अपना फैसला दिया. बहुमत के फैसले को पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि धारा 6A का अधिनियमन असम के सामने आने वाली एक अनूठी समस्या का राजनीतिक समाधान था क्योंकि बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में अवैध प्रवासियों के भारी संख्‍या में यहां आने से इसकी संस्कृति और डेमोग्राफी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सिटिजनशिप एक्‍ट पर कहा, “केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि यह असम के लिए था. आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति आदि पर उनका प्रभाव असम में अधिक है. असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है, क्योंकि असम का भूमि क्षेत्र पश्चिम बंगाल से कम है.”

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असम समझोते को आगे बढ़ाया..
नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में एक संशोधन के माध्यम से संविधान मे शामिल किया गया था. धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए 17 याचिकाएं दाखिल की गई थी. धारा 6ए को असम समझौते के तहत संविधान के नागरिकता अधिनियम में शामिल लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में शामिल किया गया था. नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए विशेष प्रावधान के तहत शामिल की गई थी ताकि असम समझौते के तहत आने वाले लोगों की नागरिकता से संबंधित मामलों से निपटा जा सके.

कानून में ऐसा क्‍या था?
कानून के इस प्रावधान में कहा गया है कि जो लोग एक जनवरी 1966 को या इसके बाद और 25 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश सहित उल्लेखित इलाकों से असम आए हैं और यहां निवास कर रहे हैं उन्हें वर्ष 1985 में संशोधित नागरिकता कानून के तहत नागरिकता के लिए धारा-18 के तहत अपना पंजीकरण कराना होगा. इसका नतीजा यह है कि बांग्लादेश से असम आने वालों के लिए कानून का यह प्रावधान 25 मार्च 1971 की ‘कट ऑफ तारीख’ तय करता है.

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