Assembly Election 2024: महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक भाजपा ने अपनी पहली कैंडिडेट लिस्ट जारी कर दी. मगर कांग्रेस अब तक सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को फाइनल नहीं कर पाई है. झारखंड में जेएमएम और महाराष्ट्र में शिवसेना संग उसकी सीटों पर तकरार बरकरार है.
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नई दिल्ली: हरियाणा हार का इफेक्ट कांग्रेस पर साफ दिख रहा है. झारखंड हो या महाराष्ट्र, सहयोगी पार्टी ज्यादा भाव देती दिख नहीं रही है. यही वजह है कि अब विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन में खुलकर दरार दिखने लगी है. झारखंड से लेकर महाराष्ट्र तक में भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिए, मगर कांग्रेस अब तक उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पाई है. ऐलान तो छोड़िए, अब तक तो सीट बंटवारे पर भी बात नहीं बनी है. झारखंड में जहां सीटों को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा संग कांग्रेस का पंगा चल रहा है, वहीं महाराष्ट्र में उद्धव वाली शिवसेना कांग्रेस को अधिक सीट देने के मूड में नहीं है. ऐसे में राहुल गांधी की कांग्रेस के लिए टेंशन ही टेंशन है.
झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से झगड़ा खाली कांग्रेस का नहीं है. लालू यादव की पार्टी राजद भी सीट बंटवारे से खुश नहीं दिख रही है. राजद ने तो सीट बंटवारे के फॉर्मूले को एकतरफा बताकर अपनी असहमति जताई. वहीं, कांग्रेस का भी जेएमएम से सीटों को लेकर गतिरोध बरकरार है. कांग्रेस चाहती है कि राजद को जेएमएम के कोटे से अधिक सीट मिले. मतभेद बस यहीं है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को ऐलान किया था कि उनकी पार्टी और कांग्रेस राज्य की 81 में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. बाकी सीटें गठबंधन के दूसरे दलों यानी राजद और अन्य के लिए होंगी. इसके कुछ घंटे बाद ही राजद सांसद मनोज झा ने इस फैसले को ‘एकतरफा’ बताया और अधिक सीटों की मांग की. उनका दावा है कि 18-20 सीटों पर राजद का दबदबा है.
झारखंड में क्यों कांग्रेस की बात नहीं बन रही
झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम के बीच कुछ सीटों को लेकर गतिरोध बरकरार है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि राजद को जेएमएम के कोटे से अधिक सीटें मिलनी चाहिए. वहीं, सूत्रों की मानें तो पहले से तय फॉर्मूले के तहत जेएमएम को 50 सीटें मिलनी थीं और उसे अपने कोटे से वाम दलों की सीटें देनी थी. बाकि 31 सीटों कांग्रेस को मिलनी थीं और राजद को उसमें से ही सीटें मिलतीं. मगर जेएमएम ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर पेच फंसा दिया है. यही वजह है कि झारखंड में कांग्रेस अब तक अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पाई है. सूत्रों का कहना है कि झारखंड में कांग्रेस के साथ हरियाणा चुनाव रिजल्ट का असर साफ दिख रहा है.
कहां फंसा है पेच
महाराष्ट्र में भी कांग्रेस का कुछ ऐसा ही हाल है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर महा विकास आघाडी में भी गतिरोध जारी है. महाराष्ट्र में मेन झगड़ा कांग्रेस और उद्धव वाली शिवसेना के बीच है. कुल 28 सीटों पर दोनों के बीच झगड़ा है. माना जा रहा है कि हरियाणा में जिस तरह कांग्रेस की हार हुई है, उसे देखते हुए शिवसेना एमवीए में उसे ज्यादा सीटें देने के पक्ष में नहीं है. हालांकि, अब दोनों के बीच झगड़े को सुलझाने का जिम्मा शरद पवार ने लिया है. शरद पवार एमवीए में सीट बंटवारे पर सहमति बनाने के लिए सक्रिय हो गए हैं. सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर सीटों पर चीजें फाइनल हो चुकी हैं, बस 10 फीसदी सीटों पर असहमति है, जिसे आज दूर कर लिया जाएगा.
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महाराष्ट्र से झारखंड तक कांग्रेस की टेंशन
इस तरह महाराष्ट्र से लेकर झारखंड में कांग्रेस की टेंशन अब भी बरकरार है. महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करने के सिलसिले में आज यानी सोमवार को कांग्रेस की अहम बैठक है. कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में महाराष्ट्र और झारखंड में सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर फंसे पेच को सुलझाने की कोशिश होगी. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि एमवीएम में कुछ सीटों को लेकर थोड़ी और चर्चा की जरूरत है और सीट शेयरिंग वाली बातचीत अब आखिरी चरण में है. एमवीए में शामिल दलों कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता सीट बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध खत्म करने के लिए हो रही बातचीत में शामिल हैं.
भाजपा की लिस्ट भी आ गई, कांग्रेस की तो बात भी नहीं बनी
यहां दिलचस्प है कि कांग्रेस अभी तक सीट शेयरिंग फॉर्मूला सुलझाने में ही जुटी है. उधर भारतीय जनता पार्टी ताबड़तोड़ अपने पत्ते खोल रही है. महाराष्ट्र से लेकर झारखंड में भाजपा ने उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. भाजपा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 99 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है. वहीं, झारखंड के लिए भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. भाजपा ने झारखंड में अभी तक 66 कैंडिडेट की घोषणा की है. जबकि इन दोनों राज्यों में कांग्रेस ने अब तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. भाजपा एक ओर जहां कैंडिडेट का ऐलान कर दमखम से चुनावी मैदान में उतर चुकी है, वहीं कांग्रेस अभी तक उहापोह की स्थिति में ही है. ऐसे में फिर सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस ऐसे कैसे भाजपा को टक्कर दे पाएगी?