पश्चिमी देशों में पिछले दो दशकों में गले के कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी गई है और इसे कुछ एक्सपर्ट ने एक ‘महामारी’ का नाम दिया है. गले के कैंसर के इस प्रकार को ओरोफैरिंजियल कैंसर कहा जाता है.
ये भी पढ़ें:- Slow Running Benefits: धीरे दौड़ने से दिल को मिलते हैं ज्यादा फायदे, सर्दी-खांसी से भी रहें दूर!
पश्चिमी देशों में पिछले दो दशकों में गले के कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी गई है और इसे कुछ एक्सपर्ट ने एक ‘महामारी’ का नाम दिया है. गले के कैंसर के इस प्रकार को ओरोफैरिंजियल कैंसर कहा जाता है, जो खासकर टॉन्सिल और गले के पीछे के हिस्से को प्रभावित करता है. इस कैंसर का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) है. यह वही वायरस है, जो सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय के कैंसर) का भी मुख्य कारण है.
HPV मुख्य रूप से यौन संचारित रोग (sexually transmitted diseases) है. ओरोफैरिंजियल कैंसर के लिए सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर यह है कि व्यक्ति के जीवन काल में कितने यौन साथी (sexual partner) रहे हैं, विशेष रूप से ओरल सेक्स करने वालों में. एक स्टडी के अनुसार, जिन लोगों ने छह या उससे अधिक बार ओरल सेक्स किया है, उनमें उन लोगों की तुलना में ओरोफैरिंजियल कैंसर होने का खतरा 8.5 गुना ज्यादा होता है, जिन्होंने कभी ओरल सेक्स नहीं किया.
ये भी पढ़ें:- Lukewarm Water: अगर एक महीने तक गुनगुना पानी पिया जाए तो क्या होगा? फायदे और नुकसान दोनों पर डालें नजर
कई देशों में प्रचलित है ओरल सेक्स
ओरल सेक्स का प्रचलन व्यवहारिक ट्रेंड्स पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ देशों में ओरल सेक्स काफी प्रचलित है. यूके में एक हजार लोगों पर कई गई रिसर्च में सामने आया कि 80% वयस्कों ने अपने जीवन में कभी न कभी ओरल सेक्स किया है. हालांकि, राहत की बात यह है कि बहुत कम लोग ही गले के कैंसर से प्रभावित होते हैं.
कैसे होता है कैंसर?
यह समझना अभी तक स्पष्ट नहीं है कि केवल कुछ ही लोग क्यों इस कैंसर से प्रभावित होते हैं. एक सामान्य सिद्धांत के अनुसार, हममें से अधिकतर लोग एचपीवी संक्रमण को खुद से खत्म कर सकते हैं. हालांकि, कुछ लोग इस वायरस से लड़ नहीं पाते, संभवतः उनके इम्यून सिस्टम में किसी खास समस्या के कारण. ऐसे मामलों में, वायरस लगातार शरीर में बना रहता है और कुछ समय बाद डीएनए में घुलमिल जाता है, जिससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
ये भी पढ़ें:- सामान्य बीमारियों में क्या होम्योपैथी दवा एलोपैथी से ज्यादा बेहतर है? रिसर्च में सामने आई चौंकाने वाली बात
एचपीवी वैक्सीन
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए युवा लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन दी जाती है. अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वैक्सीन ओरल एचपीवी संक्रमण से भी बचाव कर सकती है. इसके अलावा, कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि जहां अधिक संख्या में लड़कियों को वैक्सीन दी जाती है, वहां लड़के भी ‘हर्ड इम्यूनिटी’ का लाभ उठा सकते हैं. हालांकि, यह वैक्सीन तब ही प्रभावी हो सकती है जब लड़कियों में वैक्सीनेशन की कवरेज 85% से अधिक हो. इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय यात्रा और विभिन्न देशों में अलग-अलग कवरेज लेवल को देखते हुए यह पर्सनल सिक्योरिटी की पूरी गारंटी नहीं दे सकती.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.