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भारत ने लांच की चौथी न्यूक्लियर मिसाइल पनडुब्बी S4*, जानें ताकत

Submarine S4

इस चौथी न्यूक्लियर पावर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन (nuclear powered ballistic missile submarine) का कोड नाम S4* है. इसके औपचारिक नाम अभी तय नहीं हुआ है.

नई दिल्ली: एक ओर कनाडा के साथ राजनयिक तनाव बढ़ रहा है तो दूसरी ओर भारत ने चुपचाप अपनी चौथी न्यूक्लियर पावर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन लांच कर दी है. विशाखापत्तनम (Visakhapatnam) के शिप बिल्डिंग सेंटर में इस हफ्ते 16 अक्तूबर को यह पनडुब्बी लांच की गई है. इस पनडुब्बी का कोड नेम S4* है. इस पनडुब्बी के लांच के बारे में आधिकारिक जानकारी ज्यादा सामने नहीं आई है क्योंकि सरकार ने इस पर चुप्पी साध रखी है.

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S4* की खूबियां और ताकत

एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक नए लॉन्च किए गए एस4* एसएसबीएन (SSBN) में लगभग 75% स्वदेशी सामग्री है. यह 3,500 किमी रेंज की के-4 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है. इसे वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम के जरिए दागा जा सकता है. इस श्रेणी का पहला आईएनएस अरिहंत 750 किमी रेंज की के-15 परमाणु मिसाइलें ले जा सकता है.

इस श्रेणी की बाकी पनडुब्बियां

भारत की पहली पट्टे पर ली गई परमाणु हमलावर पनडुब्बी INS चक्र (INS Chakra) का नाम S1 रखा था, INS अरिहंत (INS Arihant) का नाम S2, INS अरिघाट (INS Arighaat) का नाम S3, INS अरिधमान (INS Aridhaman) का नाम S4 रखा गया और इसलिए नई लॉन्च की गई पनडुब्बी अपनी श्रेणी की आखिरी पनडुब्बी है, S4* जिसका औपचारिक नाम अभी दिया जाना बाकी है.

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भारत की दूसरी एसएसबीएन आईएनएस अरिघाट को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 29 अगस्त, 2024 को कमीशन किया था, जबकि तीसरी एसएसबीएन आईएनएस अरिधमान को अगले साल कमीशन किया जाएगा.

2 और परमाणु पनडुब्बी निर्माण की मंजूरी

9 अक्टूबर को, सुरक्षा की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने दो परमाणु ऊर्जा संचालित हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण की भारतीय नौसेना की योजना को मंजूरी दे दी है. रूसी अकुला क्लास की एक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बी 2028 में पट्टे पर सेना में शामिल होने वाली है. भारतीय SSBN की अगली श्रेणी अरिहंत श्रेणी के 6,000 टन विस्थापन से दोगुनी होगी और 5,000 किलोमीटर और उससे अधिक की सीमा तक की परमाणु मिसाइलें ले जा सकेगी.

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पनडुब्बी पर सरकार का फोकस क्यों

रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि विमान वाहक पोत डोंग फेंग-21 और डोंग फेंग-26 जैसी लंबी दूरी की PLA मिसाइलों के लिए असुरक्षित हैं और सबसे खराब स्थिति में उन्हें निशाना बनाया जा सकता है. यही कारण है कि सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए तीसरे विमानवाहक पोत की तुलना में परमाणु हमला और बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों को प्राथमिकता दी है.

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