छोटे निवेशकों ने जैसा भांपा था, हुंइई के आईपीओ ने वैसा ही रिटर्न दिया. आईपीओ अपने लिस्टिंग प्राइस से नीचे लिस्ट हुआ है. यह अपने प्राइस बैंड 1,960 रुपये प्रति शेयर पर भी लिस्ट नहीं हो पाया.
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नई दिल्ली. छोटे निवेशकों ने जैसा भांपा था, हुंइई के आईपीओ ने वैसा ही रिटर्न दिया. आईपीओ अपने लिस्टिंग प्राइस से नीचे लिस्ट हुआ है. छोटे निवेशकों ने जैसा भांपा था, हुंइई के आईपीओ ने वैसा ही रिटर्न दिया. आईपीओ अपने लिस्टिंग प्राइस से नीचे लिस्ट हुआ है. यह अपने प्राइस बैंड 1,960 रुपये प्रति शेयर पर भी लिस्ट नहीं हो पाया. एनएसई पर यह 1.32 प्रतिशत के डिस्काउंट के साथ 1,934 रुपये पर लिस्ट हुआ. बीएसई पर यह शेयर 1,931 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ है. मतलब ये कि जिन्होंने निवेश किया था, उन्हें उनका पूरा पैसा भी वापस नहीं मिला.
गौरतलब है कि हुंडई का IPO अब तक का भारत का सबसे बड़ा है. दुनियाभर की बात करें तो यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ रहा है. 27,870 करोड़ रुपये का यह आईपीओ रिटेल निवेशकों को लुभाने में नाकामयाब रहा. हालांकि, इस IPO के दौरान ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में भी भारी उतार-चढ़ाव देखा गया था. शुरुआत में सितंबर के अंत में हुंडई मोटर इंडिया के शेयरों का जीएमपी ₹570 तक पहुंच गया था, लेकिन पिछले हफ्ते यह तेजी से गिरकर नेगेटिव तक चला गया था.
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क्वालिफाइड निवेशकों ने खरीदा था ज्यादा
जैसा कि हुंडई IPO के दौरान रिटेल निवेशकों ने खास रूचि नहीं दिखाई थी, लेकिन क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) की ओर से पूरा सपोर्ट मिला. QIB के हिस्से में लगभग 700 फीसदी (7 गुना) ज्यादा ओवरसब्सक्रिप्शन हुआ. इस IPO का प्राइस बैंड 1,865 से 1,960 रुपये प्रति शेयर निर्धारित किया गया है.
ब्रोकरेज ने दी Reduce रेटिंग
ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने हुंडई मोटर इंडिया (HMIL) को “रिड्यूस (Reduce)” रेटिंग के साथ कवरेज देना शुरू कर दिया है. ब्रोकरेज फर्म ने HMIL के शेयरों के लिए 1,750 रुपये का टारगेट मूल्य निर्धारित किया है, जो सितंबर 2026 के लिए उनकी अनुमानित कोर अर्निंग प्रति शेयर से लगभग 23 गुना है.
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एमके का नेगेटिव व्यू मुख्य रूप से अगले कुछ वर्षों में HMIL की अनुमानित सुस्त आय वृद्धि से प्रेरित है. ब्रोकरेज फर्म का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 से 2027 तक HMIL की प्रति शेयर आय लगभग 5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ेगी. यह प्रमुख नए उत्पाद लॉन्च की कमी, उत्पादन क्षमता में अपेक्षा से कम ग्रोथ, हाई रॉयल्टी पेमेंट और ट्रेजरी निवेश से कम आय जैसे कारकों के कारण है. एमके का यह भी मानना है कि HMIL के पास भारत में मजबूत आधार वाला बाजार है.