ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 से ऐसे कई खेल हटा दिए गए हैं, जिनमें भारत का दबदबा रहता आया है. इन खेलों में क्रिकेट, हॉकी, कुश्ती, शूटिंग, बैडमिंटन शामिल हैं.
नई दिल्ली. ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 से ऐसे कई खेल हटा दिए गए हैं, जिनमें भारत का दबदबा रहता आया है. इन खेलों में क्रिकेट, हॉकी, कुश्ती, शूटिंग, बैडमिंटन शामिल हैं. इनके अलावा टेबल टेनिस, स्क्वाश और ट्रायथलॉन के इवेंट भी ग्लास्गो गेम्स 2026 से हटा दिया गए हैं. यह कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 में भारत के मेडल जीतने की उम्मीदों को बड़ा झटका है. इन खेलों को हटाए जाने के बाद खेलप्रेमियों के बीच एक चर्चा यह भी रही कि क्या जानबूझकर ऐसे खेल हटाए गए हैं, जिनमें भारत मेडल जीतता रहा है या कोई कारण है. सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि ग्लास्गो गेम्स 2026 से आखिर ये खेल हटाए क्यों गए.
ये भी पढ़ें:- Women T20 World Cup: टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद न्यूजीलैंड पर पैसों की बारिश, टीम इंडिया को भी मिले करोड़ों
गोल्ड कोस्ट ने मेजबानी से कदम पीछे खींचे
खेलप्रेमी जानते हैं कि 2026 में 23 जुलाई से 2 अगस्त के बीच कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी ग्लास्गो को करनी है. ग्लास्गो ने कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी आपात स्थिति में स्वीकार की है. वजह- पहले ये गेम्स ऑस्ट्रेलिया के शहर गोल्ड कोस्ट को कराने थे, जिसने मेजबानी जीतने के बाद अचानक कदम पीछे खींच लिए. गोल्ड कोस्ट ने अप्रैल 2022 में कहा कि गेम्स का बजट इतना अधिक हो गया है कि अब इसे आयोजित नहीं कर सकता.
आननफानन में ढूंढ़ा दूसरा मेजबान
ऑस्ट्रेलियाई शहर गोल्ड कोस्ट के इनकार के बाद आननफानन में 23वें कॉमनवेल्थ गेम्स के नए मेजबान की तलाश शुरू हुई. इस बीच कई महीने तो ऐसा माहौल रहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स एक साल के लिए टालने भी पड़ सकते हैं. कॉमनवेल्थ कंट्रीज में शामिल कोई भी बड़ा देश मेजबानी के लिए सामने नहीं आया. इसके बाद स्कॉटलैंड ने पहल की और गेम्स को 2027 तक टलने से बचाया. ग्लास्गो 2014 में भी कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी कर चुका है.
ये भी पढ़ें:- IND vs NZ Test: भारत हारा तो फंस जाएगा WTC Final का पेच, ऑस्ट्रेलिया-दक्षिण अफ्रीका… पूरा समीकरण
10 खेल कराने पर बनी सहमति
स्कॉटिश शहर ग्लास्गो में 2026 के कॉमनवेल्थ गेम्स कराने पर सहमति बनी. लेकिन यहां भी एक मुश्किल थी. इतने कम वक्त में हजारों खिलाड़ियों के रहने, खाने और खेलने का इंतजाम करना आसान काम ना था. बजट भी एक मसला था. स्कॉटलैंड ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह एक सीमा से अधिक खर्च नहीं करेगा. तय हुआ कि स्कॉटलैंड में जब गेम्स होंगे तो कई खेल हटाए जाएंगे. यह भी तय हो गया था कि इस बार 10 खेल ही होंगे. ऐसे 10 खेल जो ज्यादा परंपरागत हों. साल 2022 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 19 खेल शामिल थे.
क्रिकेट या हॉकी ही क्यों हटाए गए
कॉमनवेल्थ गेम्स में मेजबान को यह अधिकार होता है कि वह कुछ खेलों को हटा या शामिल कर सके. इसके लिए मेजबान को कम से कम 3 देशों से सहमति लेने की जरूरत पड़ती है. आमतौर पर मेजबान उन खेलों को हटाते हैं, जो ज्यादा लोकप्रिय ना हों या जिनमें वह कमजोर हो. क्रिकेट का उदाहरण लें तो स्कॉटलैंड इसे बरसों से खेल रहा है, लेकिन उसे साथ ही पता है कि उसकी टीम मेडल नहीं जीत सकती. ऐसे में क्रिकेट को हटाने में उसे ज्यादा नहीं सोचना पड़ा होगा.
ये भी पढ़ें:- IPL 2025: धोनी के फेर में फंसी चेन्नई सुपरकिंग्स की रिटेन लिस्ट, नजदीक आ रही फाइनल डेट लेकिन…
टीम गेम हटाने से बजट फ्रेंडली गेम्स हो सकेंगे
एक और बात क्रिकेट या हॉकी को हटाकर ग्लास्गो गेम्स के मेजबानों ने बड़ा खर्च घटा लिया है. क्रिकेट और हॉकी टीम गेम हैं. आमतौर पर एक टीम में 20 से 25 सदस्य होते हैं. अगर महिला और पुरुष दोनों वर्गों को मिला दें तो क्रिकेट की कम से कम 12 और हॉकी की 20 टीमें ग्लास्गो गेम्स में शामिल होतीं. यानी सिर्फ इन दो खेलों को हटाकर आयोजकों ने ग्लास्गो गेम्स में 600 खिलाड़ी-स्टाफ कम कर लिए. कुश्ती, बैडमिंटन, टेनिस, शूटिंग को हटाने की सबसे बड़ी वजह भी यही है कि स्कॉटलैंड के इन खेलों में मेडल जीतने की संभावना ना के बराबर है. लब्बोलुआब यह है कि जो खेल हटाए गए हैं, उनमें भारत का मेडल जीतना कोई वजह नहीं है. क्रिकेट जैसे खेल हटाने की 3 वजह हैं- पहला- बजट कम करना. दूसरा- पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना. तीसरा- मेजबान का विशेषाधिकार कि वह किन खेलों को शामिल रखना चाहता है और किन्हें हटाना चाहता है.