राजधानी दिल्ली की हवा में रविवार से फिर प्रदूषण का स्तर और बढ़ने के आसार हैं। अनुमान है कि अगले तीन दिन के बीच औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के अंक को पार करके बेहद खराब श्रेणी में पहुंच सकता है।
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अच्छे मॉनसून के चलते इस बार जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में दिल्ली की हवा काफी हद तक साफ रही। अक्टूबर के पहले 10 दिन में भी यह ट्रेंड बना रहा, लेकिन दशहरे के बाद से ही प्रदूषण स्तर में तेजी से बढ़ोतरी होने की शुरुआत हुई। इस बीच 23 अक्टूबर को हवा में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा 364 तक पहुंच गया। हालांकि, इसके बाद से हवा की रफ्तार में थोड़ी तेजी आई।
शनिवार को 255 एक्यूआई रहा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, शनिवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 255 रहा। इस स्तर की हवा को खराब श्रेणी में रखा जाता है। शुक्रवार को यह सूचकांक 270 के अंक पर रहा था।ये भी पढ़ें:- टेररिस्ट को ISI दे रहा जल-थल वाली ट्रेनिंग, यहां बनाया आतंकी कारखाना… जानिए क्या है पाक का ‘लादेन वाला’ प्लान
हवा में दोगुने से ज्यादा प्रदूषक तत्व
सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली की हवा में अभी सामान्य से करीब सवा दोगुना प्रदूषक कण हैं। मानकों के मुताबिक, हवा में प्रदूषक कण पीएम 10 का स्तर 100 से और पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम रहना चाहिए, लेकिन शनिवार शाम तीन बजे दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 10 का औसत स्तर 222 और पीएम 2.5 का औसत स्तर 103 पर रहा।
राजधानी पर पराली के धुएं का प्रहार बढ़ा
वहीं, धान की फसल की कटाई तेज होने के साथ ही पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते दिल्ली की हवा में पराली के धुएं से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी भी 15 फीसदी के आसपास पहुंच गई है। हालांकि, अभी हवा की गति अपेक्षाकृत तेज होने के चलते प्रदूषक ज्यादा देर तक वायुमंडल में टिक नहीं रहे हैं। हालांकि, यह राहत ज्यादा दिन रहने के आसार नहीं हैं।
छह राज्यों में हर दिन पराली जलाने की 300 से ज्यादा घटनाएं
उत्तर भारत के छह राज्यों में आमतौर पर 15 सितंबर के बाद से ही पराली जलाने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा तेजी 15 अक्टूबर के बाद देखने को मिलती है। पराली को जलाने से रोकने लिए की गई तमाम कवायदों के बावजूद इस साल भी घटनाएं तेजी से बढ़ने लगी हैं। इन छह राज्यों में हर दिन पराली जलाने की 300 से ज्यादा घटनाएं दर्ज की जा रही हैं। इसी अनुसार दिल्ली की हवा में पराली के धुएं के चलते होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी भी बढ़ने लगी है।
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भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा तैयार डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक, पिछले तीन दिन से दिल्ली की हवा में पराली के प्रदूषण की हिस्सेदारी लगातार 14 से 15 प्रतिशत के बीच बनी हुई है। दिल्ली को फिलहाल हवा की गति तेज होने का थोड़ा फायदा मिल रहा है। पिछले तीन दिन से हवा रफ्तार 16 से 18 किलोमीटर प्रतिघंटे तक पहुंच रही है। इसके चलते प्रदूषक कणों का बिखराव भी तेज हो रहा है।
लोगों को इससे थोड़ी राहत मिल रही है और पराली की हिस्सेदारी बढ़ने के बावजूद प्रदूषण का स्तर तुलनात्मक तौर पर कम है। हालांकि, वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का अनुमान है कि अब हवा की गति धीमी होगी और रविवार से फिर वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार यानी बेहद खराब श्रेणी में पहुंच सकता है।