Tax Exemption on Car Loan : वैसे तो कार को लग्जरी उत्पाद माना जाता है, इसीलिए इस पर 28 फीसदी का जीएसटी लगता है. बावजूद इसके आप कार लोन पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. इसके लिए इनकम टैक्स विभाग ने बाकायदा प्लान बनाया है.
नई दिल्ली. अगर आप होम लोन लेते हैं तो सरकार की ओर से इस पर 3.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है. इसमें 80सी के तहत ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट मिलती है, जबकि 24बी के तहत मूलधन पर सालाधाना 2 लाख रुपये तक टैक्स छूट दिया जाता है. लेकिन, क्या आपको पता है कि होम लोन की तरह कार लोन पर भी टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं. आखिर कैसे आप इन दोनों लोन पर भी टैक्स छूट ले सकते हैं, इसकी पूरी डिटेल हम आपको दे रहे हैं.
दरअसल, कार एक लग्जरी उत्पाद मानी जाती है इसलिए सामान्य तौर पर इसके लोन पर टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है. लेकिन, अगर आप पेशेवर हैं यानी डॉक्टर, इंजीनियर या वकील हैं अथवा अपनी कार का इस्तेमाल कारोबार के लिए करते हैं तो आयकर अधिनियम के तहत रिटर्न में दावा कर सकते हैं. नौकरीपेशा व्यक्ति को कार लोन पर टैक्स में रियायत का लाभ नहीं मिलेगा.
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कारोबार की लागत में शामिल करें ब्याज
क्लीयर के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि अगर आप कार लोन पर टैक्स छूट का दावा करना चाहता हैं, तो यह जरूरी है कि इसका इस्तेमाल कारोबारी काम में ही किया जाए. मसलन, आप इसे किराये पर चलाते हैं, ट्रेवल एजेंसी में इस्तेमाल करते हैं या कारोबार के काम से खुद चलाते हैं. अगर पेशेवर हैं तो भी आप कार लोन पर सालाना दिए जाने वाले ब्याज के बराबर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इसके लिए दिए गए ब्याज की रकम को रिटर्न भरते समय कारोबार की लागत के तौर पर दिखाना होगा.
तेल और रखरखाव पर भी लाभ
कार लोन के ब्याज पर ही नहीं, बल्कि सालाना इस्तेमाल किए गए ईंधन और कार के रखरखाव पर हुए खर्च को भी आयकर छूट में शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा कार के खरीद मूल्य में सालाना आने वाली कमी यानी डेप्रिसिएशन कॉस्ट पर भी रियायत ले सकते हैं. हालांकि, ईंधन पर हुए खर्च की निश्चित रकम पर ही टैक्स छूट मिलती है और डेप्रिसिएशन कॉस्ट भी कार के मूल्य का 15-20% सालाना होता है. इस तरह, अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये है और 70 हजार रुपये कार लोन का ब्याज देते हैं, तो आयकर की गणना 9.30 लाख रुपये पर की जाएगी. इसमें ईंधन और डेप्रिसिएशन कॉस्ट शामिल नहीं है.
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इन बातों का रखें ख्याल
- अगर कार का इस्तेमाल कारोबारी उद्देश्य में नहीं होता है तो आयकर अधिकारी क्लेम खारिज कर सकता है.
- क्लेम के लिए बैंक से इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट जरूर लें, यह प्रमाण के तौर पर देना पड़ सकता है.
- कार संबंधित कारोबार या उसके मालिक के नाम पर ही पंजीकृत होनी चाहिए.
क्लेम में बरतें सावधानी
टैक्स मामलों के जानकार बलवंत जैन का कहना है कि करदाता को इस बात का ध्यान रखना होगा कि क्लेम के समय आयकर अधिकारी कार के कारोबार में इस्तेमाल होने का प्रमाण मांग सकता है. अगर किसी ने झूठा दावा पेश किया है तो न सिर्फ क्लेम खारिज होगा, बल्कि आयकर विभाग कार्रवाई भी कर सकता है. इसके तहत आप पर जुर्माना और टैक्स न जमा करने की अवधि का लेट पेमेंट लगाया जा सकता है.