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हेल्थ

कोविड-19 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गया हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा; शोध में हुआ खुलासा

कोविड-19 के आफ्टर इफेक्ट्स में हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी शामिल है. ऐसे में यदि आपको कोरोना का इंफेक्शन हुआ है तो लाइफस्टाइल की आदतों बहुत सावधानी से चुनें, वरना हार्ड डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है. 

कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव डाले हैं, और हालिया शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि कोविड-19 के संक्रमण से डिस्लिपिडेमिया या हाई कोलेस्ट्रॉल विकसित होने का जोखिम लगभग 30 प्रतिशत बढ़ सकता है.

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अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में दो लाख से अधिक वयस्कों को शामिल किया गया. शोध में पाया गया कि महामारी के बाद खून में असामान्य लिपिड लेवल हार्ट संबंधी समस्याओं से बढ़ती मौतों का एक अहम कारण हो सकता है.  लिपिड का बढ़ना हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के लिए प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है.

शोध की प्रमुख बातें

जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि विशेष रूप से वृद्ध वयस्कों और टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में डिस्लिपिडेमिया विकसित होने का जोखिम लगभग दोगुना बढ़ गया है. प्रोफेसर गेटानो ने बताया कि सार्स-सीओवी-2 से संबंधित सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम एंडोथेलियल कोशिकाओं के कार्य को बाधित कर सकता है, जिससे रक्त वाहिकाओं में समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

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नियमित जांच जरूरी

प्रोफेसर ने सलाह दी है कि लोगों को अपने लिपिड की नियमित निगरानी करनी चाहिए, विशेष रूप से उन रोगियों को जो हाई कोलेस्ट्रॉल से ग्रसित हैं. उन्होंने ऐसे लोगों से जल्दी उपचार करवाने की अपील की है. यह सलाह केवल उन लोगों पर ही लागू नहीं होती जिन्होंने कोविड-19 का औपचारिक उपचार करवाया है, बल्कि उन व्यक्तियों पर भी लागू होती है जिन्हें पता नहीं चला कि वे वायरस से संक्रमित हो चुके हैं.

अध्ययन का निष्कर्ष

इस शोध ने महामारी की शुरुआत से पहले के तीन वर्षों (2017-2019) के दौरान इटली के नेपल्स में रहने वाले दो लाख से अधिक वयस्कों के समूह में डिस्लिपिडेमिया की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया. इसके बाद 2020-2022 के बीच उसी समूह के साथ तुलना की गई. निष्कर्षों से पता चला कि कोविड-19 ने सभी प्रतिभागियों में डिस्लिपिडेमिया विकसित होने का जोखिम औसतन 29 प्रतिशत बढ़ा दिया.

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किन्हें सबसे ज्यादा खतरा

शोध में यह भी पाया गया कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और जिनमें क्रॉनिक बीमारियां जैसे मधुमेह, मोटापा, हार्ट डिजीज, पुरानी प्रतिरोधी फुफ्फुसीय बीमारी, और हाई ब्लड प्रेशर, में जोखिम और भी अधिक था.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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