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हिमाचल प्रदेश

Shimla: कालका-शिमला ट्रेन को ग्रीन हाइड्रोजन से चलाने के लिए सीएम सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र

राज्य सरकार ने रेल मंत्रालय से यूनेस्को विश्व धरोहर कालका-शिमला रेललाइन को ग्रीन हाइड्रोजन से संचालित करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार ने रेल मंत्रालय से यूनेस्को विश्व धरोहर कालका-शिमला रेललाइन को ग्रीन हाइड्रोजन से संचालित करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने रेल मंत्रालय को इस ऐतिहासिक रेललाइन को ग्रीन एनर्जी संचालित रूट में बदलने पर विचार करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 31 मार्च 2026 तक प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में अनेक पहल की है।  

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छह सूत्रीय रणनीति के तहत कार्य कर रही सरकार: सुक्खू
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को प्रमाणित ग्रीन एनर्जी स्टेट में बदलने के लिए छह सूत्रीय रणनीति के तहत कार्य कर रही है। सरकार की यह पहल भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सरकार की रणनीतिक पहल के तहत सतत एवं अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर पर्यावरणीय विकास को बढ़ावा प्रदान कर राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है।

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ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों पर होगा काम: सीएम
 सुक्खू ने कहा कि प्रदेश अपनी वर्तमान 1,500 मिलियन यूनिट थर्मल पावर खपत को हाइड्रो, सौर और पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय स्रोतों से बदलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में राज्य 13,500 मिलियन यूनिट बिजली की खपत करता है जिसकी एक बड़ी आपूर्ति पहले से ही नवीकरणीय स्रोतों से पूरी होती है। बिजली वितरण तंत्र में 90 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा खपत प्राप्त करने से हिमाचल को देश के पूर्ण रूप से हरित ऊर्जा राज्य के रूप में प्रमाणित किया जा सकेगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है और एक वर्ष के भीतर इस लक्ष्य को हासिल करने की संभावना है। इससे प्रदेश के उद्योगों को ‘इको मार्क’ के लिए आवेदन करने की भी अनुमति भी मिल सकेगी, जिससे उनके उत्पादों की मूल्य में वृद्धि होगी।

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 ग्रीन पंचायत योजना शुरू की: सुक्खू
उन्होंने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा उत्पादन पर भी विशेष ध्यान दे रही है, जिसके तहत अगले चार से पांच वर्षों में 2,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य रखा गया है। पिछले दो वर्षों में सौर ऊर्जा उत्पादन दोगुना हो गया है, जो प्रदेश सरकार की स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा की विकेंद्रीकरण पहल के तहत ग्रीन पंचायत योजना शुरू की है। इस योजना के तहत पंचायत स्तर पर 500 किलोवाट क्षमता के ग्रिड से जुड़े ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसके तहत बिजली की बिक्री से होने वाली आय का उपयोग पर्यावरण अनुकूल और सत्त विकास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। 

1,500 बसों को इलेक्ट्रिक में बदला जाएगा
उन्होंने कहा कि राज्य ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के सहयोग से इस सुविधा का काम चल रहा है और इस तरह की अन्य सुविधाओं के लिए निजी निवेशकों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है।  उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की पहल के तहत हिमाचल पथ परिवहन निगम की 3,200 बसों के बेड़े में से 1,500 बसों को आगामी दो से तीन वर्षों में इलेक्ट्रिक बसों से बदला जा रहा है। सरकार के विभिन्न विभागों में डीजल और पेट्रोल वाहनों के बेड़े को भी इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जा रहा है। 

छह एनएच को ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा 
इसके अतिरिक्त, छह प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को ई-वाहनों के संचालन के लिए ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया है। प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी राजीव गांधी स्टार्टअप योजना के तहत, बेरोजगार युवाओं को इलैक्ट्रिक टैक्सी और बसें खरीदने के लिए 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है, इससे सरकारी सेवाओं में पर्यावरण अनुकूल वाहनों का संचालन सुनिश्चित हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से नए उद्योगों या मौजूदा उद्योगों के विस्तार के लिए सख्त मानक संचालन प्रणाली को लागू कर सभी प्रस्तावों का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन किया जा रहा है।


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