उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और फॉर्च्यून-500 कंपनियों के निवेश के लिए प्रोत्साहन नीति में संशोधन को मंजूरी दी गई. यह बदलाव विदेशी कंपनियों को नए अवसर प्रदान करेगा और राज्य में निवेश को आकर्षित करेगा.
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कर्ज और अन्य स्रोतों से निवेश की अनुमति
इस नए संशोधन के तहत अब विदेशी कंपनियों को केवल अपने इक्विटी निवेश पर निर्भर नहीं रहना होगा. पहले, FDI में केवल उन कंपनियों के निवेश को शामिल किया जाता था जिनके पास अपनी इक्विटी होती थी. लेकिन अब कंपनियां कर्ज और अन्य वित्तीय स्रोतों के जरिए भी निवेश कर सकती हैं. इससे उन कंपनियों को भी मौका मिलेगा जो अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीकों से पैसे जुटाती हैं.
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न्यूनतम निवेश सीमा का निर्धारण
नई नीति में निवेश की न्यूनतम सीमा 100 करोड़ रुपये रखी गई है. इस सीमा को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने इसे सभी विदेशी निवेशकों के लिए एक आकर्षक अवसर बनाया है. अब यदि किसी कंपनी के पास केवल 10% इक्विटी है और बाकी 90% धन उसने कर्ज के जरिए जुटाया है, तो उसे भी इस नीति के तहत लाभ मिलेगा.
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नीति का नया नाम और व्यापकता
इस नीति को अब “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी पूंजी निवेश और फॉर्च्यून ग्लोबल 500 तथा फॉर्च्यून इंडिया 500 निवेश संवर्द्धन नीति-2023” के रूप में जाना जाएगा. इसमें न केवल इक्विटी निवेश, बल्कि तरजीही शेयर, डिबेंचर, बाह्य वाणिज्यिक उधारी, गारंटी पत्र और अन्य डेब्ट सेक्योरिटीज को भी शामिल किया गया है. यह कदम निवेशकों के लिए एक विस्तृत और सरल प्रक्रिया बनाएगा.
निवेश की बढ़ती संभावनाएं
सरकार के इस कदम से उत्तर प्रदेश में विदेशी निवेश के बढ़ने की संभावना बढ़ गई है. इससे न केवल प्रदेश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. इस नई नीति के माध्यम से राज्य सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह विदेशी निवेशकों के लिए एक सुरक्षित और आकर्षक जगह है.