किसानों को सस्ती दर पर सिंचाई की सुविधा दे रही बिजली कंपनी ने अब खेती से जुड़े अन्य कार्यों के लिए अलग बिजली दर तय करने का निर्णय लिया है। खासकर कोल्ड स्टोरेज के लिए कंपनी ने एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया है। फिलहाल कोल्ड स्टोरेज से व्यावसायिक बिजली दर की वसूली होती है। नई श्रेणी आने से उन्हें सस्ती बिजली मिलेगी। साथ ही मेट्रो के लिए भी अलग श्रेणी तय की जाएगी। इस महीने बिहार विद्युत विनियामक आयोग को सौंपे जाने वाली याचिका में इन दोनों नई श्रेणियों का होना तय माना जा रहा है।
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अधिकारियों के अनुसार, बिजली कंपनी हर साल 15 नवम्बर तक बिजली दर से संबंधित याचिका दायर करती है। इस बार भी कंपनी ने 15 नवम्बर तक याचिका दायर करने की तैयारी है। इस पर जनसुनवाई के बाद आयोग नई बिजली दर तय करता है और यह एक अप्रैल से लागू होती है। कंपनी ने याचिका को लेकर बीते दिनों बिजली कंपनी के अधिकारियों ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की थी। चूंकि कोल्ड स्टोरेज संचालकों की ओर से लंबे समय से मांग की जा रही है कि उनको व्यावसायिक कनेक्शन के बदले एक अलग श्रेणी बनाकर बिजली बिल लिया जाये। इस बार कंपनी ने उनकी मांग पर सकारात्मक कार्रवाई करते हुए खेती से जुड़े कार्यों विशेषकर कोल्ड स्टोरेज के लिए नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि बिहार में अभी 200 कोल्ड स्टोरेज हैं।
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पटना में मेट्रो का काम जोरों पर
पटना में मेट्रो का निर्माण कार्य जोरों पर है। आने वाले एक-दो वर्षों में पटना में मेट्रो का परिचालन शुरू होने के आसार हैं। पटना के अलावा राज्य के कुछ और शहरों में मेट्रो के परिचालन की योजना बन रही है। इसे देखते हुए बिजली कंपनी ने मेट्रो के लिए भी अलग से बिजली दर तय करने का निर्णय लिया है। इस बार की याचिका में मेट्रो के लिए एक अलग श्रेणी बनाई जाएगी, ताकि अगर पटना में मार्च 26 के पहले मेट्रो का परिचालन शुरू हो तो बिजली बिल भुगतान में कोई समस्या नहीं हो।
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आयोग ने कंपनी को मानक के अनुसार याचिका सौंपने को कहा
बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली कंपनी को मानक के अनुसार बिजली दर की याचिका दायर करने को कहा है। सोमवार को आयोग के सदस्य अरुण कुमार सिन्हा ने इस बाबत कंपनी अधिकारियों के साथ विशेष बैठक की। आयोग की ओर से कंपनी के अधिकारियों को कहा गया कि याचिका में आधी-अधूरी जानकारी रहती है। इस कारण आयोग को बार-बार पत्राचार करना पड़ता है। इसलिए कंपनी जब याचिका दायर करे तो वह पूरी जानकारी विशेष तौर पर सही आंकड़े दिया करे ताकि आयोग को पत्राचार करने की नौबत नहीं हो। इससे समय की बचत होगी और आयोग कम समय में याचिका पर अपना फैसला सुना सकेगा।