राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आगरा को लखनऊ से जोड़ने वाले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के मरम्मत और रखरखाव पर अगले पांच वर्षों में 1939 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सोमवार को कैबिनेट ने औद्योगिक विकास विभाग से जुड़े इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की।
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302 किलोमीटर लंबे व छह लेन चौड़े आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (आठ लेन विस्तार योग्य) की मरम्मत और रखरखाव का कार्य उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को सौंपा गया है। कैबिनेट की अनुमति के बाद यूपीडा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की मरम्मत व रखरखाव के लिए फर्म का चयन करेगा।
आगरा और लखनऊ को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे आगरा इनर रिंग रोड से शुरू होता है, जो फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, हरदोई, उन्नाव जिलों से गुजरते हुए लखनऊ में राज्य राजमार्ग-40 पर समाप्त होता है।
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अब छह सदस्यीय समिति के माध्यम से होगा डीजीपी का चयन
राज्य सरकार ने अपने स्तर से पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के चयन का रास्ता साफ कर लिया है। डीजीपी के चयन के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा। समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी तरफ से नामित अधिकारी के अलावा अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह व पूर्व डीजीपी शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में डीजीपी की नियुक्ति के लिए पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 संबंधी अहम प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई। प्रदेश में करीब तीन वर्षों से स्थायी डीजीपी की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। नई नियमावली बनने के बाद अब सरकार को स्थायी तौर पर डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी से मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
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सर्वोच्च न्यायालय ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर वर्ष 2006 में एक याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस व्यवस्था को सभी दबाव से मुक्त करने के लिए राज्य सरकार से कानूनन नई व्यवस्था बनाने की अपेक्षा की थी। उसके बाद पंजाब, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के संबंध में नियमावली बना रखी है। इस तरह से डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाने वाला उत्तर प्रदेश चौथा राज्य बन गया है।