नई दिल्ली: लाइट मोटर व्हीकल या एलएमवी (LMV) का आपके पास लाइसेंस है तो आप बड़े मजे से टाटा 407 या इसके जैसे ट्रक चला सकते हैं। ऐसा करेंगे तो आपको न तो कोई पुलिस वाला रोकेगा और ना ही कोई ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का कर्मचारी या अधिकारी। इस बात की व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने दी है।
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क्या कहना है सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि हल्के मोटर वाहन (LMV) ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले व्यक्ति को 7,500 किलो या 7.5 टन तक के ट्रक चलाने की भी अनुमति है। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा सुनाया गया यह फैसला बीमा कंपनियों के लिए एक झटका है। इन कंपिनयों ने पहले उन मामलों में दावों को खारिज कर दिया था, जिनमें दुर्घटनाएं ऐसे लोगों द्वारा परिवहन वाहन चलाने से जुड़ी थीं, जिनके पास विशिष्ट परिवहन वाहन ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।
सर्व सम्मति का फैसला
यह फैसला पांच जजों का है, जिसे न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने लिखा है। इस बेंच के अन्य जजों में पी. एस. नरसिंम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा हैं। न्यायमूर्ति रॉय के मुताबिक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जो दिखाता हो कि एलएमवी लाइसेंस धारक सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एलएमवी लाइसेंस वाले ड्राइवर, जो सड़क पर सबसे अधिक समय बिताते हैं, की वैध शिकायतें हैं जिन्हें तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।
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पहले फैसला रख लिया था सुरक्षित
इस बेंच ने बीते 21 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कार्यवाही के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत को सूचित किया कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम, 1988 में संशोधन के लिए परामर्श पूरा होने वाला है। अदालत ने केंद्र से संशोधन प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया।
क्यों दायर हुआ था मामला
यह मामला एलएमवी लाइसेंस वाले व्यक्तियों द्वारा चलाए जा रहे ट्रांसपोर्ट व्हीकल से जुड़ी दुर्घटनाओं के बाद बीमा दावों से संबंधित विवादों से उत्पन्न हुआ था। बीमा कंपनियां दावों के भुगतान को चुनौती दे रही थीं। उनका तर्क था कि ड्राइवरों को ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत नहीं किया गया है। इन कंपनियों ने दावा किया कि अदालतें और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MATC) अक्सर लाइसेंसिंग आवश्यकताओं की अनदेखी करते हुए बीमाधारकों का पक्ष लेते हैं।
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अब बीमा कंपनियों को होगी आसानी
इस फैसले के मद्देनजर, बीमा कंपनियों को अब एलएमवी लाइसेंस धारकों द्वारा चलाए जा रहे परिवहन वाहनों से जुड़े दावों को संभालने के दौरान अपने दृष्टिकोण को समायोजित करना होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे ड्राइवरों को कानूनी रूप से 7.5 टन तक के वाहन चलाने की अनुमति है।
फैसले के मुख्य बिंदु
–7500 किलोग्राम से कम वजन वाले हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले चालक को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 10(2)(ई) के तहत अतिरिक्त अनुमति की आवश्यकता के बिना ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने की इजाजत होगी।–लाइसेंसिंग उद्देश्यों के लिए, एलएमवी और ट्रांसपोर्ट व्हीकल पूरी तरह से अलग कैटगरी में नहीं हैं, इनके बीच एक आंशिक समानता है। हालांकि अतिरिक्त मानक व अनुमति की जरूरत ई-कार्ट और खतरनाक सामान ले जाने वाले वाहनों जैसे वाहनों पर लागू होती रहेंगी।–धारा 3(1) का दूसरा भाग, जो परिवहन वाहन चलाने के लिए विशिष्ट आवश्यकताओं की जरूरत पर जोर देता है। लेकिन मोटर वाहन एक्ट की धारा 2(21) में दी गई एलएमवी (हल्के मोटर वाहन) की परिभाषा को उक्त प्रावधान खारिज नहीं करता है। –मोटर वाहन अधिनियम और मोटर वाहन नियमों में परिवहन वाहनों के लिए तय अतिरिक्त पात्रता मानदंड सामान्य रूप से केवल उन लोगों पर लागू होंगे जो 7500 किलोग्राम से अधिक वजन वाले परिवहन वाहन, जैसे कि मध्यम मालवाहक वाहन, मध्यम यात्री वाहन, भारी मालवाहक वाहन और भारी यात्री वाहन, चलाना चाहते हैं।
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मामला पांच जजों की बेंच को क्यों
यह मामला पहली बार मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (2017) संबंधित वाद में उठा था। तब जस्टिस अमिताभ रॉय, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजय किशन कौल की तीन जजों की बेंच ने यह फैसला दिया था कि 7500 किलोग्राम से कम बिना लदे वजन वाले परिवहन वाहन चलाने के लिए “हल्के मोटर वाहन ड्राइविंग लाइसेंस में अलग से अनुमति की आवश्यकता नहीं है। लेकिन बाद में 2022 में, एक अन्य बेंच ने मुकुंद देवांगन मामले के उक्त सिद्धांत पर संदेह जताया था और मामले को पांच जजों की बेंच को रेफर कर दिया था।
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सामने था अहम सवाल
जिस व्यक्ति के पास हल्के वाहन (एलएमवी) चलाने का लाइसेंस है क्या वह उसी वजन का ट्रांसपोर्ट व्हीकल ड्राइव कर सकता है? इस सवाल पर चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के सामने केंद्र सरकार ने कहा था कि वह मामले में सुझाव ले रहा है और राज्य सरकारों से इस बारे में बातचीत चल रही है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह उस कानूनी सवाल का परीक्षण करे कि क्या जिस व्यक्ति के पास एलएमवी (हल्के वाहन) वाले ड्राइविंग लाइसेंस हैं क्या वह व्यक्ति उसी वजन का ट्रांसपोर्ट व्हीकल ड्राइव कर सकता है? भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत को बताया था कि मोटर वाहन एक्ट 1988 में संभावित संशोधनों के संबंध में नीति में बदलावों पर राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन कोई ठोस निदान नहीं हो पाने के बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले का निपटारा मेरिट के आधार पर करने का फैसला किया और सुनवाई के बाद 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।