All for Joomla All for Webmasters
धर्म

Gopashtami 2024: श्री कृष्ण को प्रसन्न करना है तो गोपाष्टमी पर कर लें ये आसान काम, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

Krishna Chalisa in Hindi: हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण जी के साथ-साथ गायों और उनके बछड़ों की पूजा-अराधना करने का विधान है. 

ये भी पढ़ें:–RBI ने केवाईसी न‍ियमों में बदलाव को लेकर जारी क‍िया नोट‍िफ‍िकेशन, चेक करें ड‍िटेल

Gopashtami 2024 Upay: हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण जी के साथ-साथ गायों और उनके बछड़ों की पूजा-अराधना करने का विधान है. इस साल गोपाष्टमी का पर्व 9 नवंबर को मनाया जाएगा. श्रीमदभागवत में इस बात का वर्णन है कि भगवान श्रीकृष्ण गायों के साथ खेला करते थे और उन्हें गायों से बेहद प्रेम था. गोपाष्टमी पर गाय माता की पूजा करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है. 

ये भी पढ़ें:Gold Price Today: सोना 1,650 रुपये टूटा, चांदी हुई 2,900 रुपये सस्ती; जानिए सर्राफा की कीमतों में गिरावट की वजह

गोपाष्टमी पर करें ये सरल काम
गोपाष्टमी पर भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए आप श्री कृष्ण चालीसा का पाठ कर सकते हैं. कहा जाता है कि विधि विधान से और भक्ति भाव से इस चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और श्री कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं.

दोहा

बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।

अरुण अधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥

पूर्ण इन्द्र, अरबिंद मुख, पीतांबर शुभ साज।

जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥

ये भी पढ़ें:- 8 नवंबर के लिए पेश हो गए पेट्रोल और डीजल के दाम; क्या आज मिल गई खुशखबरी?

चौपाई

जय यदुनंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नंदन॥

जय यशोदा सुत नंद दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥

जय नट-नागर, नाग नथइया॥ कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥

वंशी मधुर अधर धरि टेरौ। होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो। आज लाज भारत की राखो॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥

 राजित राजिव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजंतीमाला॥

कुंडल श्रवण, पीत पट आछे। कटि किंकिणी काछनी काछे॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले। आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥

करि पय पान, पूतनहि तारयो। अका बका कागासुर मारयो॥

मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला। भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥

सुरपति जब ब्रज चढ़्‌यो रिसाई। मूसर धार वारि वर्षाईं॥

लगत लगत व्रज चहन बहायो। गोवर्धन नख धारि बचायो॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥ कोटि कमल जब फूल मंगायो॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें। चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥

करि गोपिन संग रास विलासा। सबकी पूरण करी अभिलाषा॥

 केतिक महा असुर संहारयो। कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई। उग्रसेन कहं राज दिलाई॥

महि से मृतक छहों सुत लायो। मातु देवकी शोक मिटायो॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी। लाये षट दश सहसकुमारी॥

दै भीमहिं तृण चीर सहारा। जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥

असुर बकासुर आदिक मारयो। भक्तन के तब कष्ट निवारयो॥

 दीन सुदामा के दुख टारयो। तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे। दुर्योधन के मेवा त्यागे॥

लखी प्रेम की महिमा भारी। ऐसे श्याम दीन हितकारी॥

भारत के पारथ रथ हांके। लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥

 निज गीता के ज्ञान सुनाए। भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥

मीरा थी ऐसी मतवाली। विष पी गई बजाकर ताली॥

 राना भेजा सांप पिटारी। शालीग्राम बने बनवारी॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो। उर ते संशय सकल मिटायो॥

 तब शत निन्दा करि तत्काला। जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई। दीनानाथ लाज अब जाई॥

तुरतहि वसन बने नंदलाला। बढ़े चीर भै अरि मुंह काला॥

अस अनाथ के नाथ कन्हइया। डूबत भंवर बचावइ नइया॥

‘सुन्दरदास’ आस उर धारी। दया दृष्टि कीजै बनवारी॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो। क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै। बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥

ये भी पढ़ें:- घर का बना खाना हुआ महंगा, अक्टूबर में आलू-प्याज बने थाली के दुश्मन

दोहा

यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि। 
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top