संवाद सहयोगी, जागरण, रुद्रप्रयाग। Chardham Waste Collection: यह स्वच्छता के प्रति जागरूकता का ही असर है कि इस बार केदारनाथ धाम समेत पैदल यात्रा मार्ग पर एकत्र किए गए कूड़े का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण किया जा रहा है। अब तक 27 टन कूड़ा एकत्र किया जा चुका है। इसमें से अजैविक कूड़े को सौ से अधिक घोड़ा-खच्चर के जरिये सोनप्रयाग पहुंचाया गया। यहां इसे कंपोज करने के बाद रिसाइकिलिंग के लिए भेजा जा रहा है।
हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी जाने वाले पैदल मार्ग पर अब तक 24 हजार बोरे से अधिक कचरा एकत्र किया जा चुका है। इसमें आठ हजार बोरे प्लास्टिक की खाली बोतलें हैं। पुलना व भ्यूंडार के ग्रामीणों की ईको विकास समिति इस 19 किमी पैदल मार्ग पर कचरे को एकत्र करने में जुटी है। इसी तरह गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में 10 टन प्लास्टिक कचरा एकत्र किया गया।
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अभी नवंबर में भी जारी रहेगा अभियान
स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए केदारनाथ धाम समेत पैदल यात्रा मार्ग पर इस यात्राकाल में प्रशासन, केदारनाथ नगर पंचायत व सुलभ इंटरनेशनल की ओर से लगातार सफाई अभियान चलाया गया और अभी नवंबर में भी जारी रहेगा। वर्तमान में केदारनाथ धाम, पैदल मार्ग, गौरीकुंड, सोनप्रयाग व सीतापुर में अभियान चल रहा है। इन स्थानों पर कूड़ा एकत्र कर उसे काम्पैक्ट करने के लिए कट्टों में भरकर घोड़ा-खच्चर की मदद से सोनप्रयाग लाया जा रहा है और फिर उसे रिसाइकिलिंग के लिए भेजा जा रहा है।
जबकि, जैविक कूड़े को धाम में बेस कैंप के पास लैंडफिल में दबा दिया जा रहा है। सुलभ इंटरनेशनल के केदारनाथ प्रभारी संजय पाठक बताते हैं कि धाम में साल-दर-साल तीर्थ यात्रियों की आमद बढ़ने से कचरे की मात्रा भी बढ़ रही है। इसमें प्लास्टिक कचरा सबसे अधिक है। वर्ष 2022 में जहां धाम में 13.2 टन कचरा एकत्र किया गया, वहीं वर्ष 2023 में यह 19 टन और वर्ष 2024 में 27 टन पहुंच गया।
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क्यूआर कोड से भी एकत्र किया गया कूड़ा
केदारनाथ धाम समेत पैदल मार्ग पर प्रशासन की ओर से क्यूआर कोड के जरिये कूडा एकत्रित किया गया। यात्राकाल में प्लास्टिक बोतल समेत अन्य प्लास्टिक पैकिंग सामान पर क्यूआर कोड डाला गया और खाली बोतलों को जमा करने के लिए 12 सेंटर स्थापित किए गए। यहां खाली बोतलें जमा करने पर तीर्थ यात्रियों को प्रति बोतल 10 रुपये वापस लौटाए गए। यह विधि काफी सफल रही। खरीदते समय बोलत की कीमत दस रुपये अधिक रखी गई।
हेमकुंड मार्ग पर एकत्र की गई 8,000 बोरे प्लास्टिक बोतलें
हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा और फूलों की घाटी की सैर पर इस वर्ष दो लाख से अधिक तीर्थयात्री व पर्यटक पहुंचे। हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी जाने के लिए गोविंदघाट से घांघरिया तक 13 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। इससे आगे हेमकुंड छह और फूलों की घाटी चार किमी की दूरी पर है। यात्रा के दौरान श्रद्धालु व पर्यटक बड़ी मात्रा में प्लास्टिक व अन्य कचरा इस पैदल मार्ग पर यहां-वहां फेंक देते हैं।
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अब इस कचरे को एकत्र करने के लिए वन विभाग के अधीन संचालित स्थानीय निवासियों की ईको विकास समिति को जमकर पसीना बहाना पड़ रहा है। समिति से जुड़े 60 से अधिक पर्यावरण मित्र व 20 से अधिक स्थानीय निवासी अब तक यात्रा रूट पर 24 हजार से अधिक बोरे कचरा एकत्र कर चुके हैं। इसमें आठ हजार बोरे प्लास्टिक की बोतलें हैं।
बताया गया कि 12 हजार बोरे कचरा हेमकुंड साहिब, घांघरिया, पुलना, भ्यूंडार आदि पड़ावों से गोविंदघाट लाया गया। इसे रिसाइकिलिंग के लिए नगर पालिका जोशीमठ को सौंपा गया है। जबकि, आठ हजार बोरे प्लास्टिक बोतलों की रिसाइकिलिंग का कार्य समिति स्वयं कर रही है।
ईको विकास समिति भ्यूंडार के अध्यक्ष पदमेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि पैदल मार्ग पर प्रति घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी से 100 रुपये शुल्क लिया जाता है। इसी राशि से समिति सफाई कार्य को अंजाम देती है। वहीं, गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि प्रशासन, ईको विकास समिति व वन विभाग हेमकुंड यात्रा मार्ग पर स्वच्छता को लेकर बेहतर कार्य कर रहे हैं।
गंगोत्री-यमुनोत्री में 10 टन प्लास्टिक कचरा छोड़ गए तीर्थयात्री
उत्तरकाशी: गंगोत्री व यमुनोत्री धाम और इनके पड़ावों पर तीर्थयात्री इस बार 10 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा छोड़ गए। गंगोत्री धाम में तो कूड़ा निस्तारण की व्यवस्थाएं लगभग पटरी पर हैं, लेकिन उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक बीच में पड़ने वाले पड़ावों पर कूड़ा निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। गंगोत्री धाम में स्वच्छता की जिम्मेदारी नगर पंचायत की है। धाम में कूड़ा छंटाई के लिए नगर पंचायत का ट्रेंचिंग ग्राउंड भी है।
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साथ जैविक कूड़े को प्लाजमा तकनीक से संचालित सालिड वेस्ट प्लांट में जलाया जाता है। इस वर्ष यात्राकाल में नगर पंचायत ने करीब 1.6 टन प्लास्टिक कचरा रिसाइकिलिंग के लिए हरिद्वार भेजा।
वहीं, जानकी चट्टी से लेकर यमुनोत्री तक स्वच्छता की जिम्मेदारी सुलभ संस्था के पास है। लेकिन, यहां अधिकांश प्लास्टिक कचरा रास्ते के किनारे और यमुना नदी की ओर खाई में फेंक दिया जाता है। यमुनोत्री क्षेत्र में प्लास्टिक कचरे को काम्पैक्ट करने वाली मशीन नहीं है, इसलिए जगह-जगह कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं।