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हरियाणा

हरियाणा में बढ़ रहा डेंगू का खतरा: अब तक 4329 केस, तीन की मौत; स्वास्थ्य मंत्री ने फॉगिंग पर उठाए सवाल

हरियाणा में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में तेजी से फैलता डेंगू चुनौती बना हुआ है। मानसून के बाद राज्य में डेंगू के मामलों में वृद्धि हुई है। आमतौर पर अक्तूबर में डेंगू के मामले अंतिम स्तर पर होते हैं।

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हरियाणा में बढ़ रहे डेंगू के केसों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश के जिलों में रोजाना सैकड़ों मरीज जांच के लिए पहुंच रहे हैं। अब तक 4329 से ज्यादा मरीज आ चुके हैं और तीन की मौत भी हो चुकी है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति पंचकूला की है। यहां अब तक 1226 केस मिल चुके हैं। इसी प्रकार हिसार, करनाल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत, पानीपत में भी काफी संख्या में केस मिल चुके हैं।

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प्रदेश में बढ़ते डेंगू के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार को पत्र लिखते हुए कहा कि राज्य में फॉगिंग का परिणाम वर्तमान स्थिति के हिसाब से मेल नहीं खा रहा है। उनके कहने का मतलब यह है कि राज्य में जिस तरह से डेंगू के केस बढ़ रहे हैं, उसके मुकाबले फॉगिंग कम हो रही है। ऐसे में गांव व कस्बों में व्यापक तौर पर फॉगिंग करवाई जाए। साथ ही सभी उपायुक्त, सीईओ और जिला परिषद पंचायत क्षेत्रों में डेंगू पर रूटीन में प्रभावी नियंत्रण गतिविधियों को व्यक्तिगत तौर पर निगरानी रखने का निर्देश दें।

नवंबर में अकसर कम हो जाता है डेंगू का असर, इस बार स्थिति विपरीत
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में तेजी से फैलता डेंगू चुनौती बना हुआ है। मानसून के बाद राज्य में डेंगू के मामलों में वृद्धि हुई है। आमतौर पर अक्तूबर में डेंगू के मामले अंतिम स्तर पर होते हैं, जबकि नवंबर में तापमान में गिरावट के कारण यह तेजी से कम हो जाता है। डेंगू नियंत्रण गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से मजबूत करने की आवश्यकता है। इसलिए तुरंत ज्यादा से ज्यादा डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में फॉगिंग करवाई जाए। उन्होंने बताया कि इसकी एक वजह 15 अक्तूबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक तापमान में कम गिरावट आना भी है।

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ऐसे हो रहा कार्य
स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहरी क्षेत्रों में डेंगू के केस की रोकथाम के लिए वेक्टर पाठ्यक्रम गतिविधियां व डेंगू पॉजिटिव घरों के आसपास फॉगिंग की जा रही है। इसकी जिम्मेदारी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को सौंपी गई है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थानों (पीआर) पर फॉगिंग का जिम्मा है।

जांच किट उपलब्ध
जिलों में डेंगू से संबंधित जांच उपकरणों की कमी नहीं है। सोनीपत, जींद, रेवाड़ी, नारनौल, करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल में डेंगू जांच किट की कमी नहीं है। रोहतक में आठ किट हैं। झज्जर में 6 किट हैं और 20 किट के ऑर्डर भेजे गए हैं।
प्रदेश के 16 जिलों में औसतन 1300 लोग पहुंच रहे जांच करवाने

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जिला रोजाना औसतन जांच
सोनीपत 140 340
जींद 50            40
झज्जर 40 82
रेवाड़ी 150 43
रोहतक 250 124
नारनौल 5             53
अंबाला 80 103
करनाल 300 367
यमुनानगर 80 101
कुरुक्षेत्र 60 213
कैथल 40 40
हिसार 60 443
सिरसा 12 168
फतेहाबाद 12 71
भिवानी 25 86
चरखी दादरी 25 81




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