हिमाचल प्रदेश में मौसम का मिजाज बदल रहा है। रात की तरह दिन में भी सर्दी के तेवर तीखे हो गए हैं। राज्य के मैदानी हिस्से घने कोहरे की जद में हैं। विभिन्न इलाकों में कोहरे की तीव्रता गिरने से यातायात पर असर पड़ रहा है। बिलासपुर में शनिवार सुबह घने कोहरे के कारण दृश्यता महज 20 मीटर तक रह गई। इससे सड़कों पर वाहनों की रफ्तार धीमी हो गई। इसी तरह मंडी और सुंदरनगर में कोहरे से दृश्यता गिरकर 50 मीटर रही। घने कोहरे के कारण स्कूली बच्चों और कार्यालय जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में ठंड का कहर बढ़ेगा और तापमान में लगातार गिरावट देखने को मिलेगी। विभाग ने अगले दो दिन बिलासपुर और मंडी में घना कोहरा रहने का येलो अलर्ट जारी किया है। 11 नवम्बर को मध्यवर्ती व पहाड़ी इलाकों में बादलों के बरसने का अनुमान है।
48 घण्टों में बदलेगा मौसम, बरसेंगे बादल
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक अगले 48 घण्टों के दौरान मौसम में बदलाव आएगा और मैदानी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य जिलों में वर्षा-बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। चम्बा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल-स्पीति और मंडी जिलों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है। 12 व 13 नवम्बर को पूरे राज्य में मौसम साफ रहेगा। लेकिन 14 व 15 नवम्बर को पहाड़ी इलाकों में बादलों के बरसने की उम्मीद है।
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दो शहरों का माइनस में पारा, ताबो सबसे ठंडा
पिछले 24 घण्टों के दौरान राज्य के औसतन न्यूनतम तापमान में 0.2 डिग्री की गिरावट रही। लाहौल-स्पीति जिला के दो शहरों का पारा शून्य से नीचे दर्ज किया गया। ताबो सबसे ठंडा स्थल रहा, जहां पारा -3.5 डिग्री सेल्सियस रहा। कुकुमसेरी में न्यूनतम तापमान -0.8 डिग्री, केलंग में 3, समधो में 4.4, कल्पा में 4.8, मनाली में 7.5, रिकांगपिओ में 7.8, सियोबाग में 8, नारकंडा में 8.5, भुंतर व बजुआरा में 9.4, सोलन में 9.6, मशोबरा में 9.8, पालमपुर में 10.5, सुंदरनगर में 10.6 औऱ शिमला में 11.1 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है।
सूखे से गेहूं की बिजाई में देरी, सेब के उत्पादन पर खतरा
पिछले दो माह से राज्य में पर्याप्त वर्षा न होने से कई जिले सूखे की चपेट में हैं। इससे गेहूं की फसल की बिजाई में बिलंब हुआ है। बारिश न होने से सेब के पौधों के सूखने का खतरा बढ़ गया है। इसका अगले सीजन में सेब उत्पादन पर असर पड़ सकता है। हिमाचल में सेब का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और राज्य की आर्थिकी में इसका अहम रोल रहता है। राज्य में सेब की सालाना पांच हज़ार करोड़ की आर्थिकी है।
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बागवानी विशेषज्ञों के मुताबिक राज्य में सेब की फसल के तुड़ान के बाद करीब दो माह से वर्षा नहीं हुई है। इस तरह के हालात राज्य में कई सालों के बाद बने हैं। सूखे से सेब के पौधों की सामान्य वृद्धि रुक गई है। अगर लंबे समय तक ऐसे हालात रहें तो पौधे सुख भी सकते हैं। न राज्य में अक्टूबर माह में सामान्य से 98 फीसदी कम वर्षा हुई। नवम्बर महीने में तो बारिश की एक बूंद भी नहीं बरसी है।