पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार की सुबह जामा मस्जिद सर्वे के दौरान पथराव हुआ है.
उग्र भीड़ ने कई गाड़ियों में आग लगा दी है. पुलिस ने भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. कई ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर आ रहे हैं, जिसमें गलियों में लोगों की भीड़ और पत्थर दिखाई दे रहे हैं.
संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने बीबीसी संवाददाता दिलनवाज पाशा को फोन पर हुई बातचीत में दावा किया कि पुलिस ने गोली चलाई है और शहर में तनाव की स्थिति है.
संभल के एसपी कृष्ण कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि ‘भीड़ की ओर से फ़ायरिंग की गई थी जिसके जवाब में पुलिस ने भी फ़ायरिंग की है’. उन्होंने कहा कि पत्थरबाज़ी में कई जवान भी घायल हुए हैं.
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वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि संभल में आला पुलिस और अन्य अधिकारी मौजूद हैं और हालात पर नज़र रख रहे हैं.
रविवार के घटना के बारे में पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने बताया, “थाना कोतवाली संभल क्षेत्र में कोर्ट के आदेश पर सर्वे कराया जा रहा था. सर्वे शांतिपूर्वक चल रहा था, कई गलियों से निकल कर लोग आए और अचानक पुलिस बल पर पथराव किया.”
“लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ दिया गया है. पथराव कर रहे लोगों पर आंसू गैस भी छोड़ी गई है. संभल में धारा 144 लागू है. जिन लोगों ने भीड़ को उकसाया है उनकी सीसीटीवी के माध्यम से पहचान की जाएगी और सख़्त से सख़्त क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी. ऐसी कार्रवाई होगी कि ये लोग याद रखेंगे.”
संभल में पत्थरबाज़ी पर उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “कुछ असामाजिक तत्वों ने पत्थरबाज़ी की है. पुलिस और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. हालात काबू में हैं. पुलिस पत्थरबाज़ी करने वालों की पहचान कर, उनपर उचित कार्रवाई करेगी.”
क्या है पूरा मामला
कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी महाराज ने दावा किया था कि संभल की शाही मस्जिद हरिहर मंदिर है.
महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर कर सर्वे की मांग की थी.
कोर्ट ने सात दिनों के भीतर सर्वे करवाने का आदेश देते हुए कहा था टीम से वीडियो और फोटोग्राफी सहित रिपोर्ट जमा करवाने को कहा था.
अदालत ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर बनाया गया है.रविवार को जब सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुँची तो लोगों की भीड़ जमा होने लगी.
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संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि पिछली बार रात होने की वजह से सर्वे पूरा नहीं हो पाया था, इसलिए आज सर्वे किया गया.
उनके मुताबिक सर्वे ठीक चल रहा था, लेकिन मस्जिद के बाहर पहुंची भीड़ ने अचानक से पुलिस पर पथराव किया, जिससे तनाव की स्थिति पैदा हुई.
हिंदू पक्ष के वकील ने क्या कहा?
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कई याचिकाकर्ताओं की तरफ़ से संभल के सिविल जज सीनियर डिवीज़न की अदालत में मंगलवार को ही वाद दायर किया था.
विष्णु शंकर जैन वही वकील हैं जो वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में भी वकील हैं.
विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मस्जिद में सर्वे का काम पूरा हो चुका है.
उन्होंने कहा, “सुबह साढ़े सात बजे से दस बजे तक कमीशन की कार्रवाई हुई. मैं आपके सामने बताना चाहता हूं कि जितने फीचर हैं उसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी एडवोकेट कमिश्नर द्वारा की गई. अब ये सर्वे पूरा हो चुका है. 29 नवंबर को इस केस की तारीख है.”
“अपील करता हूं कि लोग कानून में भरोसा रखें. ये कोर्ट की प्रक्रिया है. ये एक लंबी प्रक्रिया है. तुरंत कोई फैसला नहीं होने वाला है. कोर्ट में एडवोकेट कमिश्नर अपनी रिपोर्ट दाखिल करेंगे.”
विष्णु जैन के मुताबिक एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट जब एक बार कोर्ट में रखी जाएगी तो दूसरे पक्ष को सवाल जवाब करने का मौका मिलेगा और तब जाकर कहीं ये केस आगे बढ़ेगा.
विष्णु शंकर के मुताबिक सर्वे के दौरान मस्जिद कमेटी के वकील और कमेटी के सदस्य भी मौजूद थे.
क्या है विवाद?
संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद किस काल में बनी है, इसे लेकर विवाद है लेकिन हिंदू पक्ष ने अदालत में दावा किया है कि इसे मुग़ल शासक बाबर के आदेश पर एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाया गया था.
हालांकि, संभल के इतिहास पर ‘तारीख़ ए संभल’ किताब लिखने वाले मौलाना मोईद कहते हैं, “बाबर ने इस मस्जिद की मरम्मत करवाई थी. इसलिए ये सही नहीं है कि बाबर ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था.”
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मौलाना मोईद कहते हैं, “ये ऐतिहासिक तथ्य है कि बाबर ने लोधी शासकों को हराने के बाद 1526 में संभल का दौरा किया था. लेकिन बाबर ने जामा मस्जिद का निर्माण नहीं करवाया था.”
मौलाना मोईद के मुताबिक़, बहुत संभव है कि इस मस्जिद का निर्माण तुग़लक काल में हुआ हो. इसकी निर्माण शैली भी मुग़ल काल से मेल नहीं खाती है.
ये मस्जिद फिलहाल भारत के पुरातत्व सर्वे की निगरानी में है और एक संरक्षित इमारत है.
ये पहली बार नहीं है कि इस जामा मस्जिद को लेकर विवाद हुआ है. हिंदू संगठन इसके मंदिर होने का दावा करते रहे हैं और शिवरात्रि के दौरान यहां बने कुएं के पास पूजा के प्रयास भी किए जाते रहे हैं.
हालांकि, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ये पहली बार है कि मस्जिद को लेकर हाल के दशकों में अदालत में कोई वाद दायर हुआ है.
मुस्लिम पक्ष से जुड़े अधिवक्ता मसूद अहमद कहते हैं, “ये वाद दायर कर इस मुसलमान धर्मस्थल को विवादित करने का प्रयास किया गया है. इस मस्जिद को लेकर अदालत में पहले से कोई विवाद नहीं है.”
क्या बोले नेता
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने संभल मामले पर कहा है कि जो भी अदालत के आदेश के पालन में बाधा डालेंगे उनके खिलाफ कानून अपना काम करेगा.
उन्होंने कहा, “न्यायालय के आदेश का पालन कराना सरकार और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है, उसे कराया जाएगा. जो न्यायालय के आदेश के पालन में बाधा डालेंगे उनके खिलाफ कानून अपना काम करेगा.”
वहीं बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने एक वीडियो जारी कर कहा, “संभल में सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर की टीम पहुंची थी. टीम पर पथराव करना दर्शाता है कि आपका संविधान में विश्वास नहीं है, देश की न्यायपालिका में विश्वास नहीं है, कानून में विश्वास नहीं है.”
राकेश त्रिपाठी ने लोगों से अपील की कि संभल में शांति व्यवस्था बनाए रखें और किसी भी स्थिति में कानून को हाथ में न लें.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने संभल की घटना के लिए योगी आदित्यनाथ के प्रशासन को जिम्मेदार बताया है.
उन्होंने कहा, “जो कुछ भी संभल में हो रहा है वो अति निंदनीय है. ये काम दोनों पक्षों को साथ में लेकर शांति से किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया जा रहा है.”
मायावती ने कहा कि संभल में जो बवाल और हिंसा हो रही है उसके लिए शासन, प्रशासन जिम्मेदार है. साथ ही उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.