Users Could Face OTP Delivery Delays: ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले लोग अक्सर डिवाइस का एक्सेस पाने के लिए फर्जी ओटीपी मैसेज का इस्तेमाल करते हैं। इसके चलते कई बार लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। धोखाधड़ी वाले कॉल और मैसेज से निपटने के साथ-साथ ग्राहकों की बेहतर सुरक्षा के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने पिछले कुछ महीनों में कई निर्देश जारी किए हैं।
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ट्राई ने टेलीकॉम प्रोवाइडर्स को मैसेज ट्रेसेबिलिटी लागू करने का निर्देश दिया है, जो कि 1 दिसंबर से प्रभावी हो सकता है। इसके चलते यूजर्स को ओटीपी डिलीवरी में देरी का सामना करना पड़ सकता है। ट्राई के मैसेज ट्रेसेबिलिटी रेगुलेशन के अनुसार टेलीकॉम कंपनियों द्वारा भेजे गए सभी मैसेज ट्रैसेबल होंगे, ताकि फिशिंग और स्पैम के लिए मैसेजिंग सिस्टम के दुरुपयोग को रोका जा सके। नए नियम के अनुसार मैसेज को सेंडर से रिसीवर तक पूरी तरह से ट्रेसेबल होना चाहिए।
इस कदम की घोषणा सबसे पहले अगस्त में की गई थी और टेलीकॉम कंपनियों को इन ट्रेसिबिलिटी प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए शुरुआत में 31 अक्टूबर तक का समय दिया गया था। हालांकि, जियो, एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल जैसी बड़ी कंपनियों की मांगों के बाद इस समय सीमा को बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया गया।
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अब डेडलाइन खत्म होने के बाद टेलीकॉम ऑपरेटरों को मैसेज ट्रेसिबिलिटी निर्देश का पालन करना होगा। ट्राई ने नियमों को धीरे-धीरे लागू करने की अनुमति दी थी, और ऑपरेटरों से 30 नवंबर तक उन एंटिटी को चेतावनी देने का आग्रह किया गया था जो निर्देशों का पालन नहीं करते हैं। 1 दिसंबर से नॉन-कंप्लायंस बिजनेस से आने वाले संदेशों पर रोक लगने की उम्मीद है।
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इसके अलावा, 1 दिसंबर से इन ट्रेसिबिलिटी प्रक्रियाओं को लागू करने के साथ ही यूजर्स को ओटीपी मिलने में देरी हो सकती है। नतीजतन, यूजर्स को ऑनलाइन बैंकिंग, बुकिंग जैसी चीजों के लिए ओटीपी के लिए अधिक समय तक इंतजार करना पड़ सकता है।