नई दिल्ली. आयकर विभाग ने करदाताओं को चेतावनी दी है कि विदेशी आय और संपत्तियों का खुलासा 31 दिसंबर 2024 तक करना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर करदाताओं को भारी जुर्माना और ब्लैक मनी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, यह जानकारी हर भारतीय को देने की जरूरत नहीं है.
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यह जानकारी उन भारतीयों को देनी होगी जो पिछले एक साल में 182 दिन या उससे ज्यादा भारत में रहे हैं. ऐसे भारतीय जो पिछले 4 साल में कुल मिलाकर 365 दिन भारत में रहे हैं उन्हें भी यह जानकारी देनी होगी. को इसकी जानकारी देनी होगी तो उनमें ये लोग शामिल हैं- जिनके पास विदेशी बैंक खाते, शेयर, व्यवसायिक हिस्सेदारी, अचल संपत्ति और अन्य संपत्तियां हैं. साथ ही जिन्हें विदेश में मौजूद एसेट्स के जरिए ब्याज, डिविडेंड, कैपिटल गेन्स और अन्य कमाई प्राप्त हुई है उन्हें भी खुलासा करना होगा.
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कौन सा फॉर्म भरें?
करदाताओं को ITR के संबंधित फॉर्म्स में शेड्यूल FA (फॉरेन एसेट्स), शेड्यूल FSI (फॉरेन इनकम), और शेड्यूल TR (टैक्स रिलीफ) भरना होगा. ध्यान दें, ITR-1 और ITR-4 का उपयोग इन खुलासों के लिए नहीं किया जा सकता. यदि करदाता पहले ही आयकर रिटर्न दाखिल कर चुके हैं, लेकिन उसमें विदेशी आय या संपत्तियों का खुलासा नहीं किया है, तो उन्हें 31 दिसंबर तक संशोधित रिटर्न दाखिल करना होगा.
जुर्माने का प्रावधान
यदि विदेशी संपत्तियों का कुल मूल्य ₹20 लाख से अधिक है (अचल संपत्ति को छोड़कर) और खुलासा नहीं किया गया, तो ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा, झूठी या अधूरी जानकारी देने पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत मुकदमा भी चलाया जा सकता है.
खुलासा क्यों जरूरी?
विदेशी आय और संपत्तियों का खुलासा न केवल भारतीय कर कानूनों का पालन सुनिश्चित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कर संधियों के तहत डबल टैक्सेशन से बचाने में भी मदद करता है.
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विदेशी आय और संपत्तियों का खुलासा कैसे करें?
अपनी सभी विदेशी संपत्तियों और आय जैसे बैंक खाते, निवेश और आय स्रोतों की समीक्षा करें.
ITR-2 या ITR-3 जैसे फॉर्म्स का उपयोग करें, जिसमें शेड्यूल FA, FSI और TR उपलब्ध हों.
शेड्यूल FA में संपत्तियों का, शेड्यूल FSI में आय का, और शेड्यूल TR में अंतरराष्ट्रीय कर राहत का विवरण भरें.
अपनी संपत्तियों के अधिग्रहण, उनसे अर्जित आय, और विदेश में चुकाए गए करों की जानकारी शामिल करें.