अपनी पर्सनल फाइनेंशियल हेल्थ को बेहतर बनाए रखने के लिए समय पर टैक्स से संबंधित चीजों को निपटाना बहुत जरूरी होता है. आसान शब्दों में कहें, तो टैक्स योग्य इनकम (Taxable Income) आपकी इनकम का वह हिस्सा है, जिस पर टैक्स लगाया जाता है. यह हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) और कंपनियों सहित व्यक्तियों के लिए जरूरी है. यह आमतौर पर किसी व्यक्ति की ग्रॉस इनकम से कटौती (Deductions), छूट (Exemptions) और रिबेट्स घटाकर निकाला जाता है.
कैसे कैलकुलेट करें अपनी टैक्सेबल इनकम?
भारत में अपनी कुल टैक्स योग्य इनकम निर्धारित करने के लिए कई स्टेप्स हैं. इनमें शामिल हैं –
ग्रॉस सैलरी
सबसे पहले अपनी ग्रॉस इनकम को कैलकुलेट करें. इसमें आपकी बेसिक सैलरी, अलाउंसेज, बोनस और दूसरे टैक्सेबल कंपोनेंट्स शामिल होने चाहिए.
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छूट (Exemptions)
किसी व्यक्ति की सैलरी में कई कंपोनेंट्स को इनकम टैक्स से छूट दी गई है. इनमें हाउस रेंट अलाउंस (HRA), स्टैंडर्ड डिडक्शन और लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) शामिल हैं. आपको इन छूटों को अपनी ग्रॉस सैलरी से घटाना होगा.
कटौती (Deductions)
आयकर अधिनियम की अलग-अलग धाराओं के तहत कुछ कटौती (Deductions) प्रदान की जाती हैं. सैलरी पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सबसे आम कटौती में पीएफ या इंश्योरेंस जैसे अलग-अलग निवेशों के लिए धारा 80C, होम लोन्स और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए धारा 80D शामिल हैं.
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कुल टैक्सेबल इनकम
इन सब प्रोसीजर्स से निकलने के बाद आपको अपनी कुल टैक्सेबल इनकम का पता चल जाता है.
इनकम टैक्स स्लैब्स
आप अपनी इनकम पर लागू कुल इनकम टैक्स की कैलकुलेशन अलग-अलग टैक्स स्लैब के आधार पर कर सकते हैं. यहां आपको कुल देय टैक्स का निर्धारण करने के लिए हर एक स्लैब के लिए टैक्स लायबिलिटी की कैलकुलेशन करनी होगी.
रिबेट्स
चेक करें कि क्या कोई रिबेट्स या सरचार्जेस स्पेसिफिक परिस्थितियों पर निर्भर है.
TDS
सैलरी पर काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में एम्प्लॉयर्स आमतौर पर उनकी मंथली सैलरी से टीडीएस काटते हैं. इसे आपकी फाइनल टैक्स लायबिलिटी के आधार पर एडजस्ट किया जाता है.
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इनकम टैक्स की कैलकुलेशन (Income Tax Calculation) करने के लिए लोगों को सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन्स, बिजनेस या प्रोफेशन और सेविंग्स अकाउंट्स, फिक्स्ड डिपॉजिट और बांड्स जैसे अन्य सोर्सेज सहित सभी सोर्सेज से इनकम को शामिल करना जरूरी है.