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कितने NRI ने लोकसभा चुनाव 2024 में किया मतदान? सामने आए आंकड़े तो होने लगी चर्चा

NRI voting 2024: एनआरआई मतदाता वहीं वोट डाल सकते हैं जहां उनका नाम उनके भारतीय पते के आधार पर वोटर लिस्ट में दर्ज है. हालांकि, मतदान के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्र पर जाना पड़ता है. यही वजह है कि अधिकांश एनआरआई मतदाता मतदान में भाग नहीं ले पाते.

Lok Sabha elections NRI turnout: वैसे तो लोकसभा चुनाव 2024 के कई रंग देखने को मिले लेकिन एक नया आंकड़ा सामने आया है जिसे समझने की जरूरत है. हुआ यह कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनआरआई मतदाताओं की भागीदारी में भारी गिरावट देखी गई. चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के 25.6% मतदान के मुकाबले इस बार केवल 2.5% एनआरआई मतदाताओं ने वोट डाले. कुल 1,19,374 पंजीकृत एनआरआई मतदाताओं में से केवल 2,958 ने मतदान किया.

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दक्षिण भारत के राज्यों में अधिकतम पंजीकरण, लेकिन मतदान कम
दरअसल, भारत के पांच दक्षिणी राज्यों केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में 2024 में सबसे ज्यादा एनआरआई मतदाता पंजीकृत थे. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें 90% एनआरआई मतदाता शामिल हैं. हालांकि तमिलनाडु और कर्नाटक में इस बार किसी भी एनआरआई ने वोट नहीं डाला. केरल में 89,839 मतदाता पंजीकृत थे, लेकिन केवल 2.97% ने वोट डाले, जो 2019 के 29.13% से काफी कम है.

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उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में एनआरआई मतदान ना के बराबर.. 
उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में एनआरआई मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी तो हुई, लेकिन मतदान बेहद कम रहा. उत्तर प्रदेश में 859 पंजीकृत मतदाता थे, लेकिन किसी ने वोट नहीं डाला. वहीं, पंजाब में 1,613 मतदाताओं में से केवल 13 ने मतदान किया. पूर्वोत्तर राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में तो नए एनआरआई मतदाता पंजीकृत ही नहीं हुए.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मामूली सुधार
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मतदान प्रतिशत में मामूली सुधार देखा गया. आंध्र प्रदेश में 7,927 पंजीकृत मतदाताओं में से 195 ने मतदान किया, जो 2019 के केवल 5 मतदाताओं से बेहतर है. तेलंगाना में 3,470 पंजीकृत मतदाताओं में से 3 ने मतदान किया, जबकि 2019 में कोई मतदान नहीं हुआ था.

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एनआरआई वोटिंग के नियम और चुनौतियां
भारत के कानून के अनुसार एनआरआई मतदाता वहीं वोट डाल सकते हैं जहां उनका नाम उनके भारतीय पते के आधार पर वोटर लिस्ट में दर्ज है. हालांकि, मतदान के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्र पर जाना पड़ता है. यही वजह है कि अधिकांश एनआरआई मतदाता मतदान में भाग नहीं ले पाते. एनआरआई वोटिंग में गिरावट के पीछे भौगोलिक दूरी, समय की कमी और मतदान प्रक्रिया की जटिलता प्रमुख कारण माने जा रहे हैं.

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