Loan against mutual funds: म्यूचुअल फंड निवेश करने का एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है, जो न केवल आपको भविष्य के लिए पैसा जोड़ने में मदद करता है बल्कि बाजार की बेहतर समझ भी प्रदान करता है. हालांकि, म्यूचुअल फंड का मतलब केवल निवेश ही नहीं है, आप इन्हें आपातकालीन स्थिति में लोन लेने के टूल की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड पर काफी जल्दी लोन मिलता है. ये लोन एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान) और बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं. लोन की राशि आपके म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो के मार्केट वैल्यू पर आधारित होती है.
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यह लोन तेजी से प्रोसेस होता है, क्योंकि इसमें डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया बहुत कम होती है और डिजिटल माध्यम से गिरवी रखी जाती है. इससे लोन की स्वीकृति और वितरण तेजी से हो जाता है. लोन की राशि आपके म्यूचुअल फंड के प्रकार पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए, इक्विटी फंड्स पर लोन की सीमा कम होती है, जबकि डेट फंड्स पर यह अधिक हो सकती है. इस लोन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप गिरवी रखे गए फंड्स आपके ही रहते हैं और उन पर मिलने वाला डिविडेंड या ब्याज आपको मिलता रहता है.
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अन्य कई फायदे
म्यूचुअल फंड पर सुपरफास्ट लोन के अन्य फायदों में कम ब्याज दरें शामिल हैं. क्योंकि यह लोन गिरवी रखे गए शेयरों के मुकाबले है और लोन देने वालों के लिए यह बिलकुल सुरक्षित है. इसकी ब्याज दरें पर्सनल लोन की तुलना में कम होती हैं. साथ ही, इसका उपयोग अलग प्रकार के पर्सनल खर्चों के लिए किया जा सकता है. हालांकि, इस लोन के साथ कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं.
किस सूरत में बेच सकता है बैंक
म्यूचुअल फंड की कीमतें बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती हैं. यदि बाजार अस्थिर है, तो इससे गिरवी रखे गए एसेट की कीमत प्रभावित हो सकती है और लोन-टू-वैल्यू अनुपात में बदलाव आ सकता है. अगर आप लोन चुकाने में असफल रहते हैं, तो बैंक या एनबीएफसी आपके गिरवी रखे गए फंड्स को बेच सकता है, जिससे आप अपनी संपत्ति खो सकते हैं.
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इसके अलावा, यदि आपको अधिक लोन राशि की आवश्यकता है, तो यह विकल्प हमेशा पर्याप्त साबित नहीं होता, खासकर जब गिरवी रखी गए एसेट इक्विटी फंड्स पर आधारित हो. म्यूचुअल फंड पर लोन लेना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है, बशर्ते आप अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को सही तरीके से मैनेज करें.