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बार-बार KYC कराने का झंझट होगा खत्म, बस एक बार बनवा लें CKYC कार्ड

सेंट्रल केवाईसी (CKYC) प्रणाली विभिन्न वित्तीय संस्थानों में केवाईसी (Know Your Customer) प्रक्रिया को एकीकृत और आसान बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है. इसके माध्यम से बार-बार केवाईसी डाक्यूमेंट्स जमा करने की समस्या समाप्त हो जाती है. आइए जानें CKYC कार्ड कैसे बनता है और यह KYC की प्रक्रिया को कैसे आसान बनाता है.   

सेंट्रल केवाईसी सिस्टम एक सरल और बेहतर उपाय है, जो कस्टमर को बार-बार केवाईसी कराने की परेशानी से बचाती है. CKYC नंबर के माध्यम से ग्राहक विभिन्न वित्तीय सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं, जिससे उनकी प्रक्रिया तेज और सुविधाजनक हो जाती है.

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क्या है CKYC की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया: 

  1. CKYC फॉर्म प्राप्त करें:
  2. CKYC आवेदन फॉर्म किसी भी भागीदार वित्तीय संस्थान या केवाईसी पंजीकरण एजेंसी (KRA) से प्राप्त किया जा सकता है.
  3. आवश्यक दस्तावेज़ जमा करें: 
  4. आवेदनकर्ता को निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं:
  5. पहचान प्रमाण (Proof of Identity): आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या वोटर आईडी. 
  6. पता प्रमाण (Proof of Address): बिजली का बिल, किरायानामा, या कोई सरकारी दस्तावेज़ जिसमें पता दर्ज हो. 
  7. फोटोग्राफ: पासपोर्ट आकार की फोटो.

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कैसे होगा वेरिफिकेशन:

आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ों की सत्यापन प्रक्रिया वित्तीय संस्थान या KRA द्वारा की जाती है. यह प्रक्रिया व्यक्तिगत सत्यापन (In-Person Verification) या इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन (eKYC) के माध्यम से पूरी की जा सकती है. 

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मिलेगा यूनिक CKYC नंबर: 

वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद, आवेदनकर्ता को 14 अंकों का KYC पहचान नंबर (KIN) एसएमएस या ईमेल के माध्यम से प्रदान किया जाता है. यह नंबर भविष्य में विभिन्न वित्तीय सेवाओं में उपयोग किया जा सकता है. 

CKYC के क्या है फायदे:

  1. सिर्फ एक बार KYC: एक बार CKYC पंजीकरण पूरा हो जाने के बाद, अलग-अलग बैंक या वित्तीय संस्थानों के लिए बार-बार KYC प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होती. 
  2. सेंट्रल डेटाबेस: CKYC के माध्यम से सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्योरिटाइजेशन एंड एसेट रिकंस्ट्रक्शन (CERSAI) द्वारा एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया जाता है, जिससे संस्थानों को सत्यापित जानकारी तक आसान पहुंच मिलती है. 
  3. जानकारी अपडेट करना आसान: उपयोगकर्ता जब चाहें अपनी केवाईसी जानकारी को अपडेट कर सकते हैं, और इसके लिए उन्हें प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की आवश्यकता नहीं होती.
  4. लेन-देन में तेजी: CKYC प्रक्रिया से कागजी कार्यवाही और सत्यापन में लगने वाला समय कम हो जाता है, जिससे ग्राहक ऑनबोर्डिंग और लेन-देन तेज़ी से हो पाते हैं.
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