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प्रॉपर्टी मालिकों को बड़ी राहत देने की तैयारी, जीपीए से ट्रांसफर हुए घर-प्‍लॉट की भी होगी रजिस्‍ट्री

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नई दिल्‍ली. जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) के जरिए कई बार ट्रांसफर हुए रिहायशी प्लॉट और फ्लैट्स की रजिस्ट्री की अनुमति देने की तैयारी नोएडा प्राधिकरण कर रहा है. इसके लिए प्राधिकरण एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रहा है. इस नीति का उद्देश्य संपत्ति के स्वामित्व को वैध बनाना और प्राधिकरण व राज्य सरकार को हुए राजस्व नुकसान की भरपाई करना है. गुरुवार को हुई बोर्ड मीटिंग में अधिकारियों ने बताया कि यह नीति संपत्ति मालिकों को लंबे समय से परेशान कर रही कानूनी अनिश्चितताओं को समाप्त कर सकती है. प्राधिकरण जल्द ही इस प्रस्ताव को सरकार को सौंपेगा.

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एयरफोर्स नेवल हाउसिंग बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु विहार के सेक्टर 21 और 25 में लगभग 730 संपत्तियां जीपीए आधारित हैं, जिनमें से 200 से अधिक संपत्तियों में कई जीपीए शामिल हैं. अधिकारियों का मानना है कि शहरभर में ऐसे मामलों की संख्या हजारों तक हो सकती है. प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने इस समस्या को गंभीर बताते हुए कहा कि इसे सुलझाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.

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अभी यह है व्‍यवस्‍था
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा नियम केवल पहले जीपीए धारक द्वारा किए गए ट्रांसफर को मान्यता देते हैं, जिसमें फीस 2.5% से 5% तक होती है. लेकिन, बाद के जीपीए ट्रांसफर के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिससे कई संपत्तियां कानूनी उलझन में फंसी हुई हैं. नई नीति के तहत, पहले ट्रांसफर की फीस 2.5% से 5% तक रहेगी, जबकि दूसरे जीपीए ट्रांसफर पर 10% और तीसरे पर 15% फीस लगेगी. इसके बाद हर ट्रांसफर पर 5% की वृद्धि होगी.यह प्रस्ताव 2003 की एक नीति का विस्तार है, जिसने जीपीए ट्रांसफर को वैध बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी.

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उस समय पहले वकील को संपत्ति मूल्य का 30%, दूसरे को 60%, और तीसरे को 90% फीस देनी पड़ती थी. हालांकि, यह नीति 2003 तक ही प्रभावी रही और सार्वजनिक मांग पर इसे कई बार बढ़ाया गया. अधिकारियों का मानना है कि यह नई नीति संपत्ति धारकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगी और विवादों को सुलझाने के साथ-साथ राजस्व बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी. इससे न केवल संपत्ति प्रशासन में सुधार होगा, बल्कि सैकड़ों परिवारों को राहत भी मिलेगी.

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