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बढ़ जाएगा गेहूं का रेट? स्टॉक में आई गिरावट, चावल का भंडार 3 गुना ज्यादा बढ़ा

चावल का भंडार रिकॉर्ड 60.9 मिलियन टन पर पहुंच गया है, जो सरकार के लक्ष्य का आठ गुना है, जबकि गेहूं का स्टॉक कम होता जा रहा है. इससे चावल निर्यात में तेजी की उम्मीद है लेकिन गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं.

नई दिल्ली. देश में चावल के भंडार ने जनवरी में अब तक का सबसे ऊंचा स्तर छू लिया है, जबकि गेहूं का स्टॉक लगातार घट रहा है. चावल के पर्याप्त भंडार के कारण भारत अपने निर्यात को तेज कर सकता है, लेकिन गेहूं की सीमित आपूर्ति से बाजार में चिंता बढ़ रही है. भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अनुसार, 1 जनवरी तक सरकारी गोदामों में चावल का कुल स्टॉक (अनमिला धान सहित) 60.9 मिलियन टन पहुंच गया है. यह सरकार के 7.6 मिलियन टन के निर्धारित लक्ष्य से आठ गुना अधिक है.

विशेषज्ञों का कहना है कि चावल की इतनी बड़ी मात्रा का भंडारण सरकार के लिए चुनौती बन सकता है. कई राज्यों में धान की खरीद अभी भी जारी है, जिससे भंडारण के लिए और जगह की आवश्यकता पड़ेगी.

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गेहूं की स्थिति खराब
जहां चावल का स्टॉक रिकॉर्ड बना रहा है, वहीं गेहूं का भंडार पिछले औसत स्तर से काफी नीचे है. 1 जनवरी तक गेहूं का भंडार 18.4 मिलियन टन दर्ज किया गया, जो कि सरकार के 13.8 मिलियन टन के लक्ष्य से अधिक है, लेकिन यह पांच साल के औसत 26.7 मिलियन टन से काफी कम है.

निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
चावल के भंडार में वृद्धि के साथ ही भारत के चावल निर्यात को गति मिल रही है. पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में चावल निर्यात पर लगे अधिकांश प्रतिबंध हटाने के बाद से निर्यात में तेजी आई है.

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गेहूं की कीमतों में तेजी
गेहूं की सीमित आपूर्ति के चलते इस सप्ताह बाजार में इसके दाम रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गए. मांग और आपूर्ति के असंतुलन के कारण आटा मिलों और थोक उपभोक्ताओं को परिचालन में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

सरकार की सीमित बिक्री योजना
इस साल सरकार ने मार्च 2025 तक थोक उपभोक्ताओं को 2.5 मिलियन टन गेहूं बेचने की योजना बनाई है, जो कि पिछले साल के 10 मिलियन टन के मुकाबले काफी कम है. इससे बाजार में गेहूं की उपलब्धता और कम हो गई है.

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कल्याण योजनाओं पर दबाव
काकीनाड़ा के एक चावल निर्यातक ने कहा, “धान की खरीदारी जारी रहने से भंडारण की समस्या और गंभीर हो सकती है. सरकार को यह तय करना होगा कि इन भंडारों को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से कैसे निपटाया जाए.” चावल के बढ़ते भंडार और गेहूं की कमी के बीच सरकार के लिए संतुलन बनाना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. जहां चावल निर्यात के जरिए राहत संभव है, वहीं गेहूं के स्टॉक को संभालने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.

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